कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) में बिंदियारानी (Bindyarani Devi) ने वेटलिफ्टिंग इवेंट में सिल्वर पदक जीतकर देश को गौरवान्वित करने का काम किया है। बिंदियारानी के परिवार ने भी उनका मैच देखने के लिए दिन भर तैयारियां कीं।
Bindyarani Devi. बिंदियारानी देवी के पिता ने अपनी किराने की दुकान बंद कर दी और उनके भाई ने कॉमनवेल्थ गेम्स में बिंदिया का प्रदर्शन देखने के लिए डीटीएच रिचार्ज कराया क्योंकि जिस चैनल पर लाइव आ रहा है, वह चैनल उन्होंने सब्सक्राइब नहीं किया था। 23 वर्षीय भारोत्तोलक बिंदियारानी ने शनिवार की रात 55 किग्रा वर्ग में रजत पदक हासिल करके अपने परिवार से किए वादे को पूरा किया। उन्होंने क्लीन एंड जर्क में 116 किग्रा भार उठाकर रजत पदक जीता, यह भी कॉमनवेल्थ गेम्स का एक रिकॉर्ड है।
मणिपुर कर रहा है इंतजार
बिंदियारानी के पदक जीतने के बाद अब मणिपुर में उनके बड़े स्वागत का इंतजार कर रहा है। दरअसल, मणिपुर देशभर में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि यहां की रहे वाली मीराबाई चानू और बिंदियारानी सहित कुंजारानी देवी ने देश के लिए मेडल्स जीते हैं। जहां तक बिंदियारानी की बात है तो यह उनके लिए सबसे बड़ा पदक है क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें एक दशक तक मेहनत करनी पड़ी है।
घर पर कैसा रहा माहौल
बिंदियारानी के परिवार को यह सुनिश्चित करने के बड़ी तैयारी करनी पड़ी कि वे हर हाल में बिंदिया के इवेंट को देख सकें। उनके पिता जो कि किसान हैं और किराने की एक दुकान भी चलाते हैं, उन्हें अपनी दुकान बंद करनी पड़ी। वहीं उनके घर में Sony10 नहीं था इसलिए भाई ने रिचार्ज कराया। बिंदिया ने कहा कि परिवार और मेरे दोस्तों ने कहा कि आप पदक लेकर वापस आओ, हम जोरदार स्वागत करेंगे।
गोल्ड के लिए किया प्रयास
बिंदियारानी ने गोल्ड के लिए प्रयास किया लेकिन अंतिम प्रयास में 2 किग्रा अधिक खींचने से पहले वे 114 किग्रा के लिए दूसरी बार असफल रहीं। नाइजीरिया की एडेनिके ओलारिनोय ने कुल 203 किग्रा के साथ स्वर्ण पदक जीता और भारतीय एथलीट ने 202 किग्रा के साथ सफर समाप्त किया। बिंदिया ने कहा कि अगर मैंने दूसरे प्रयास में 114 किग्रा भार उठाया होता तो मैं तीसरे प्रयास में और अधिक के लिए जाती लेकिन ऐसा नहीं हो सका। बिंदिया रजत जीतने पर भी खुश हैं।
2024 ओलंपिक जीतने का लक्ष्य
बिंदियारानी ने बताया कि उनका अगला बड़ा लक्ष्य 2024 का ओलंपिक है। वे ओलंपिक के लिए और उससे आगे के लिए भी चोटों से बचकर रहना चाहती हैं। बिंदिया ने कहा कि भगवान की कृपा से मैं इतने वर्षों में चोट से मुक्त रही हूं और उम्मीद है कि मैं ऐसी ही रहूंगी। अब मैं खेल गांव वापस जाऊंगी और अपने साथियों को वादे के अनुसार मिठाई खिलाऊंगी और खुद भी कुछ खाऊंगी।
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