फिनलैंड में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत की 94 वर्षीय दादी ने कई इवेंट में शानदार प्रदर्शन करने के साथ कई पदक जीते हैं। चैंपियन दादी ने सौ मीटर में गोल्ड मेडल जीतकर सबको यह गलत साबित कर दिया है कि उम्र किसी के लिए कोई बाधा है।
नई दिल्ली। भारतीय चैंपियन दादी ने फिनलैंड के टाम्परे में कमाल कर दिया है। 94 वर्षीय दादी ने टाम्परे में आयोजित विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर स्प्रिंट में गोल्ड मेडल जीता है। चैंपियन दादी ने 24.74 सेकेंड में दौड़कर यह गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने शॉटपुट में भी कांस्य पदक हासिल किया।
खेल मंत्रालय ने ट्वीट कर दी बधाई
भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय ने ट्वीट कर बधाई दी है। मंत्रालय ने बताया कि भारत की 94 वर्षीय भगवान देवी जी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उम्र कोई बाधा नहीं है। उन्होंने टाम्परे में World Masters Athletics Championships में 100 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में 24.74 सेकंड के समय के साथ गोल्ड जीता है। उन्होंने शॉट में एक कांस्य भी जीता। वास्तव में सराहनीय प्रयास!
10 जुलाई को समाप्त हुई चैंपियनशिप
वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप 29 जून से 10 जुलाई तक टाम्परे में आयोजित की गई थी। यह 35 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुष और महिला एथलीटों के लिए एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड) के खेल के लिए एक विश्व चैंपियनशिप-कैलिबर इवेंट है।
1975 में मास्टर्स एथलेटिक्स की शुरुआत
वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप की शुरुआत 1975 में हुई थी। पहले इस चैंपियनशिप में 35 साल से ऊपर आयु वर्ग के खिलाड़ी भाग ले सकते हैं। शुरुआत में केवल 5 ऐज ग्रुप को शामिल किया गया था, लेकिन अब 12 एज ग्रुप में स्पोर्ट्स इवेंट्स आयोजित कराए जाते हैं। पहला ऐज ग्रुप 35 से ऊपर आयु वर्ग का है। दूसरा 40 साल से ऊपर, तीसरा 45 से ऊपर, चौथा 50 साल से ऊपर, पांचवां 55 साल से ऊपर, छठवां 60 साल से ऊपर, सातवां 65 से ऊपर, आठवां 70 साल से ऊपर, नौवां 75 साल से ऊपर, दसवां 80 साल से ऊपर, ग्यारहवां 85 साल से ऊपर और बारहवां 90 साल से ऊपर का है।
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