पद्मभूषण देवेंद्र झाझरिया को डी-लिट् की उपाधि, बेहद प्रेरक है इस पैरा-एथलीट के संघर्ष की कहानी

झाझरिया को 2022 में पद्म भूषण, 2012 में पदमश्री, 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार और 2005 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

Dheerendra Gopal | Published : Dec 20, 2022 4:08 PM IST

Devendra Jhajharia awarded D.Litt: पैरा ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट पद्मभूषण देवेंद्र झाझरिया को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। पद्मभूषण झाझरिया को डी-लिट् की उपाधि मंगलवार को उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह में प्रदान किया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने उनको उपाधि दी। किसी राजकीय विश्वविद्यालय से मानद उपाधि प्राप्त करने वाले देवेंद्र झाझरिया राजस्थान के पहले खिलाड़ी हैं।

उपाधि मिलने के बाद झाझरिया ने कहा कि जब भी कोई उपाधि या पुरस्कार मिलता है तो देश के प्रति मेरी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। यह उपाधि मेरे खेल कौशल को मान्यता देने वाली है। यह और भी खुशी की बात है कि मुझे यह सम्मान महाराणा प्रताप की जन्मभूमि पर मिला है। 

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कौन हैं देवेंद्र झांझरिया?

राजस्थान के रहने वाले देवेंद्र झाझरिया जेवेलिन थ्रोवर पैरा-एथली हैं। वह पैरा-ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी हैं। इंडियन पैरालिंपियन देवेंद्र झाझरिया ने टोक्यो पैरालिंपिक 2020 में सिल्वर मेडल जीता था । पुरुषों की जेवलिन थ्रो के एफ46 फाइनल में झाझरिया ने 64.35 मीटर का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो करके हुए सिल्वर मेडल जीता। टोक्यो पैरालिंपिक में इनका तीसरा मेडल था। जेवलिन थ्रोअर पैरा-एथलीट देवेंद्र झाझरिया इससे पहले 2004 और रियो 2016 में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। पैरा ओलंपिक के दिग्गज खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया को भारत सरकार तमाम पुरस्कारों और अवार्ड्स से नवाज चुकी है। झाझरिया को 2022 में पद्म भूषण, 2012 में पदमश्री, 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार और 2005 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

एक हाथ काटने के बाद भी जज्बा कायम रहा

पैरा-एथलीट देवेंद्र झाझरिया को एक हादसे में एक हाथ गंवाना पड़ा था। दरअसल, 9 साल की उम्र में जब देवेंद्र पड़ोसी बच्चों के साथ लुका-छिपी खेल रहे थे तो छुपने के चक्कर में एक पेड़ पर चढ़ गए। इसी दौरान उन्होंने गलती से 11, 000 वोल्ट के करंट वाले एक तार को छू लिया। इसके बाद बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े थे। डॉक्टरों ने उनकी जान तो बचा ली लेकिन उनका बायां हाथ तुरंत काटना पड़ा। अपनी कहानी उन्होंने बताया कि जब मैंने अपना हाथ खो दिया और वापस आया तो मेरे लिए घर से बाहर जाना एक चुनौती था। मैंने स्कूल में भाला फेंकना शुरू किया तो मझे ताने मारे गए। वहां मैंने फैसला किया कि मैं कमजोर नहीं होऊंगा।'

उन्होंने बताया, 'जीवन में मैंने सीखा है कि जब हमारे सामने कोई चुनौती होती है तो आप सफलता प्राप्त करने के करीब होते हैं। मुझसे कहा गया था कि मुझे पढ़ाई करनी चाहिए और खेल में मेरे लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन मैंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। मैं जेवलिन थ्रो के लिए समर्पित औरअनुशासित हूं। मैं जिस कमरे में मैं सोता हूं उसमें एक भाला रखा है और मेरी पत्नी ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।

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