साक्षी मलिक और मीराबाई चानू के अर्जुन अवॉर्ड एप्लीकेशन पर उठे सवाल, दोनों को पहले ही मिल चुका है खेल रत्न

इन दोनों ही खिलाड़ियों ने इस बार अर्जुन अवॉर्ड के लिए अपने आवेदन भेजे हैं। इनके इन आवेदनों से संबंधित खेल फेडरेशन और खेल बिरादरी भी हैरान है कि जब इन दोनों को खेलों का सर्वोच्च सम्मान हासिल हो चुका है तो फिर उन्हें कैसे अर्जुन अवॉर्ड दिया जा सकता है?

नई दिल्ली.  'राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड' (Rajeev Gandhi Khel Ratna Award) देश में खेलों का सबसे पुरस्कार है। अभी तक 38 खिलाड़ियों को खेलों का यह सर्वोच्च सम्मान हासिल हो चुका है, जिनमें साक्षी मलिक (Sakshi Malik) और मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) भी शामिल हैं। रेसलर साक्षी को यह पुरस्कार 2016 में रियो ओलिंपिक की कामयाबी के बाद मिला था। इसी तरह वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने अमेरिका में हुई 2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था, जिसके बाद उन्हें साल 2018 में खेल रत्न से नवाजा गया।

लेकिन अब हैरानी की बात यह है कि इन दोनों ही खिलाड़ियों ने इस बार अर्जुन अवॉर्ड के लिए अपने आवेदन भेजे हैं। इनके इन आवेदनों से संबंधित खेल फेडरेशन और खेल बिरादरी भी हैरान है कि जब इन दोनों को खेलों का सर्वोच्च सम्मान हासिल हो चुका है तो फिर उन्हें कैसे अर्जुन अवॉर्ड दिया जा सकता है?

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साक्षी मलिक का सपना है अर्जुन पुरस्कार पाना

भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन (IWLF) के महासचिव सहदेव यादव ने मीडिया को बताया, 'साक्षी मलिक ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन दिया तो हमने इसे आगे बढ़ा दिया। हम ऐसा करने से उन्हें रोक नहीं सकते हैं। उन्होंने हमें बताया कि यह उनका सपना है कि उनके नाम के आगे अर्जुन पुरस्कार विजेता लगे। ऐसे में उन्हें रोकने वाले हम कौन होते हैं?'

चानू बोलीं हर खिलाड़ी चाहता है अर्जुन पुरस्कार

मीराबाई ने कहा, 'मैं जानती हूं कि खेल रत्न सर्वोच्च पुरस्कार है लेकिन मैं पहले अर्जुन अवॉर्ड से चूक गई थी और मुझे यह भी चाहिए। कभी-कभी आपको सभी चाहिए होते हैं। खिलाड़ी अर्जुन अवॉर्ड हासिल करना चाहते हैं। मैंने 2018 में भी अर्जुन अवॉर्ड के लिए आवेदन दिया था। तब हमने अर्जुन अवॉर्ड और खेल रत्न दोनों के लिए अप्लाई किया था।'

यादव ने बताया, 'मीराबाई ने 2018 में खेल रत्न के लिए आवेदन नहीं किया था। तब मंत्रालय ने उन्हें यह पुरस्कार दिया।'

उठे रहे ऐसे सवाल

अर्जुन अवॉर्ड के लिए साक्षी मलिक के आवेदन ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) को भी हैरान कर दिया है। WFI के एक अधिकारी ने कहा, 'यह बिल्कुल ऐसा है कि आपने एक विषय में पीएचडी कर ली है और अब उसी विषय में ग्रेजुएशन के लिए अप्लाई कर रहे हो। ओलिंपिक से पहले उनके नाम कोई खास अचीवमेंट नहीं थी तो इससे पहले उनके नाम को कभी अर्जुन अवॉर्ड के लिए नहीं भेजा गया। जब रियो में उन्हें ब्रॉन्ज मिल गया तो उनके नाम की सिफारिश सीधे खेल रत्न के लिए की गई। अब उन्हें अर्जुन अवॉर्ड भी चाहिए।'

अर्जुन पुरस्कार वाले खिलाड़ियों को मिलती हैं ये सुविधाएं

WFI के महासचिव वीएन प्रसूद ने बताया, 'कोई ऐथलीट जब अवॉर्ड के लिए अप्लाई करता है तो हमारी ड्यूटी होती है कि हम उसके आवेदन को खेल मंत्रालय तक भेजें। हम कैसे किसी आवेदन को निरस्त कर सकते हैं? अब वहां एक कमिटी होगी, जिसका गठन मंत्रालय करेगा और वे ही आगे निर्णय लेंगे।'

माना जा रहा है कि अर्जुन पुरस्कार के साथ खिलाड़ियों को कुछ सहूलियतें भी मिलती हैं- जैसे मुफ्त रेल यात्राएं और कुछ मुफ्त हवाई यात्राएं, तो संभव है कि ऐथलीट्स ने इन सहूलियतों का लाभ लेने के लिए भी आवेदन किया हो।

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