पूजा करेंगी गोलकीपिंग तो निक होंगे कप्तान, मणिपुर में बनी भारत की पहली ट्रांसजेंडर फुटबाल टीम

मणिपुर में भारत की पहली ट्रांसजेडर फुटबाल टीम बनाई गई है। इस टीम में उन सभी खिलाड़ियों को जगह मिली है, जो फुटबाल खेलने में किसी से कम नहीं हैं, पर उनके ट्रांसजेंडर होने के कारण उन्हें किसी भी टीम में खेलने का मौका नहीं मिल पाता था।

Asianet News Hindi | Published : Mar 18, 2020 11:05 AM IST

नई दिल्ली. मणिपुर में भारत की पहली ट्रांसजेडर फुटबाल टीम बनाई गई है। इस टीम में उन सभी खिलाड़ियों को जगह मिली है, जो फुटबाल खेलने में किसी से कम नहीं हैं, पर उनके ट्रांसजेंडर होने के कारण उन्हें किसी भी टीम में खेलने का मौका नहीं मिल पाता था। इन लोगों का जन्म तो एक लड़की के रूप में हुआ था, पर अब वो खुद को लड़का कहना पसंद करते हैं। ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों की टीम बनने के बाद अब ये खिलाड़ी इस पहल को और आगे ले जाना चाहते हैं और इंटरनेशनल लेवल पर महिला और पुरुष कैटेगरी के अलावा तीसरी कैटेगरी भी शामिल करना चाहते हैं। 

मणिपुर के चाकी हुईड्रोम किसी अन्य खिलाड़ी की तरह फुटबाल के साथ कलाबाजियां करने में माहिर हैं, पर उन्हें किसी भी टीम से खेलने का मौका नहीं मिला, क्योंकि वो ना तो महिलाओं के साथ खेल सकते हैं और ना ही पुरुषों के साथ। फुटबाल के टूर्नामेंट भी लड़कों या लड़कियों के लिए आयोजित किए जाते हैं। इनमें ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए कोई जगह नहीं होती है। यदि कभी कोई खिलाड़ी अपनी पहचान छुपाकर भी खेलता है तो हकीकत सामने आने पर खासा बवाल होता है। चाकी के दिमाग में हमेशा से यह बात थी कि तीसरी कैटेगरी के खिलाड़ियों के लिए कोई टूर्नामेंट क्यों नहीं हो सकता। 

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8 मार्च को पूरा हुआ चाकी का सपना 

चाकी का सपना था कि उन्हें कोई मैच खेलने का मौका मिले जहां वो अपना टैलेंट दिखा सकें और उनसे उनके जेंडर पर कोई सवाल ना पूछा जाए। उनका यह सपना 8 मार्च 2020 को पूरा हुआ, जब या ऑल नाम के एक एनजीओ ने 14 सदस्यों की एक ट्रांसजेडर टीम बनाने में उनकी मदद की। इसके बाद उन्होंने 7-7 खिलाड़ियों की 2 टीम बनाकर इंफाल में एक मैच भी खेला। एनजीओ के संस्थापक सदाम हंजबम ने बताया कि यह मैच खेलकर सभी खिलाड़ी बहुत खुश नजर आए। उनकी खुशी हमें और भी ऐसे मैच आयोजित कराने की प्रेरणा देती है। 

एनजीओ के संस्थापक सदाम हंजबम ने कहा "हमारा समाज किन्नरों की पहचान को स्वीकार करने में हिचकिचाता है। यही वजह है कि फुटबाल के ये खिलाड़ी अपना टैलेंट नहीं दिखा पाते हैं। इन मैचों का उद्देश्य यही है कि ये खिलाड़ी अपने खेल का मजा ले सकें और दुनिया को दिखा सकें कि साथ मिलकर ये क्या कर सकते हैं। इससे हमें समाज में किन्नरों के प्रति सोच में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।"

ऐसी है देश की पहली ट्रांसजेंडर फुटबाल टीम 

टीम की कप्तानी स्ट्राइकर निक के हाथों में है, जबकि दूसरे स्ट्राइकर चाकी को उपकप्तान बनाया गया है। पूजा और सिलेबी गोलकीपर हैं। नेली, मैक्स, थोई और सैंतोई टीम के मिडफील्डर हैं। स्टाइकर लेम भी इस टीम में शामिल हैं। केके, लाला, क्रिस्टीना, थोई एस और मिलर ने डिफेंडर की जिम्मेदारी संभाली है। 

2017 में बना यह एनजीओ लगातार LGBTQ समाज के उत्थान के लिए काम कर रहा है, पर संसाधनों की कमी के चलते यह सब कुछ बहुत आसान नहीं रहा है। सदाम हंजबम ने इस पर कहा "हम सभी बड़ी फुटबाल टीमों से आगे आकर मदद करने की दरख्वास्त करते हैं। आप कोचिंग और दूसरी सुविधाओं को उपलब्ध कराने में हमारी मदद कर सकते हैं। हम सब मिलकर तीसरे जेंडर के लिए भी स्पोर्ट मीट करा सकते हैं। ऐसा करने से हमें खेल के कई नए टैलेंट देखने को मिलेंगे। समाज में हो रहे भेदभाव और तीसरे समुदाय के प्रति लोगों की सोच के चलते इन लोगों की प्रतिभा सामने नहीं आ पाती है।"

चाकी ने आगे कहा कि बाकी खिलाड़ियों को भी सामने आना चाहिए ताकि वो खुद में सुधार करके एक अच्छी और संतुलुत ट्रांसजेंडर फुटबाल टीम बना सकें। 

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