खेल मंत्रालय ने 24 घंटे के भीतर ही 54 नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन की अस्थायी मान्यता को वापस ले लिया है। इन सभी फेडरेशन को एक साल की अस्थायी मान्यता मिलती थी, जिसे खेल मंत्रालय को रिन्यू करना होता है
स्पोर्ट्स डेस्क. खेल मंत्रालय ने 24 घंटे के भीतर ही 54 नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन की अस्थायी मान्यता को वापस ले लिया है। इन सभी फेडरेशन को एक साल की अस्थायी मान्यता मिलती थी, जिसे खेल मंत्रालय को रिन्यू करना होता है। मार्च में कोरोना वायरस के फैलने की वजह से मान्यता देने में खेल मंत्रालय को देरी हुई थी, जिसके चलते इन स्पोर्ट्स फेडरेशन को सरकार की तरफ से आर्थिक राशि नहीं मिल सकी। दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर खेल मंत्रालय ने ये कदम उठाया है।
बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि खेल मंत्रालय ने 7 फरवरी के हमारे आदेश का पालन नहीं किया और अग्रिम सूचना दिए बिना ही अपना निर्णय ले लिया। कोर्ट ने कहा कि खेल मंत्रालय को प्रोविजनल रिकॉग्निशन देने से पहले इस बात की सूचना कोर्ट को देनी चाहिए थी, लेकिन कोर्ट को बिना सूचित किए ही खेल मंत्रालय ने 54 नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन की इस साल की अस्थायी मान्यता को आगे बढ़ा दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में खेल मंत्रालय को कहा था कि 2 दिन के भीतर एक नया नोटिस जारी किया जाए और 30 सितंबर तक के लिए अस्थायी मान्यता को आगे बढ़ाने के लिए जारी किया गया नोटिफिकेशन वापस लिया जाए। खेल मंत्रालय ने इसी महीने की शुरुआत में 54 स्पोर्ट्स फेडरेशन की अस्थायी मान्यता को बढ़ा दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट में स्पोर्ट्स फेडरेशन में कई अनियमितताओं के बारे में बताते हुए याचिका लगाई गई थी, जिस पर पिछले काफी समय से दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है।
स्पोर्ट्स फेडरेशन पर आर्थिक अनियमितताएं करने का है आरोप
इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि फेडरेशन में आर्थिक अनियमितताएं और पद के दुरुपयोग से जुड़े कई उदाहरण हैं। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश जारी करके खेल मंत्रालय को 7 फरवरी को निर्देश दिया था कि वो स्पोर्ट्स फेडरेशन से जुड़े फैसले लेने से पहले दिल्ली हाईकोर्ट को इसकी जानकारी देगा, लेकिन खेल मंत्रालय की तरफ से 54 नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन की मान्यता को बढ़ाने से जुड़े फैसले की जानकारी कोर्ट को नहीं दी गई थी। इसके बाद 24 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने नए आदेश में साफ कर दिया कि खेल मंत्रालय न सिर्फ अपने किसी भी फैसले की जानकारी देगा, बल्कि फैसला लेने से पहले कोर्ट की इजाजत भी लेगा।