केरल में फीफा वर्ल्डकप की मची धूम तो मुस्लिम संगठन ने दी चेतावनी- 'अल्लाह की इबादत करें, फुटबॉल की नहीं'

एक तरफ पूरी दुनिया की नजरें कतर में चल रहे फीफा वर्ल्डकप (FIFA World Cup 2022) हैं और जब स्टेडियम में मैच होता है तो पूरी दुनिया में शोर मचता है। केरल में फीफा वर्ल्डकप का खुमार है लेकिन यहां के मुस्लिम संगठन (Muslims Outfit)  ने चेतावनी दी है कि अल्लाह की इबादत करो, फुटबॉल की नहीं।
 

FIFA World Cup. केरल के मुस्लिम संगठन जम-इय्याथुल खुतबा समिति ने बयान दिया है कि अपने पसंदीदा फुटबॉल खिलाड़ियों के महंगे कटऑउट पर पैसा लगाने की जरूरत नहीं है। संगठन ने फुटबॉल का क्रेज बढ़ने पर चेतावनी दी है कि अल्लाह की इबादत करो, फुटबॉल की नहीं। फुटबॉल के हीरोज का गुणगान करने पर यह समिति पहले ही सोशल मीडिया पर हंगामा कर चुकी है। संगठन के महासचिव नसर फैजी कूडाथाई ने कहा कि हमने नमाज के बाज मस्जिदों में चेतावनी दी है कि फुटबॉल को सिर्फ खेल भावना की तरह देखा जाना चाहिए। लेकिन विश्वकप के उन्माद में इबादत करने वालों की इबादत प्रभावित हो रही है।

यह समिति सुन्नी मौलवियों का एक संगठन है जो मस्जिदों में शुक्रवार की नमाज के दौरान धर्मोपदेश देते हैं। अब वे यह संदेश फैला रहे हैं कि फुटबॉल के स्टार खिलाड़ियों की पूजा करना गैर-इस्लामिक है। साथ ही एकेश्वरवाद के सिद्धांत के खिलाफ भी है। समिति ने कहा कि फुटबॉल के हीरोज का क्रेज इतना बढ़ गया है कि लोग अपने झंडे से ज्यादा दूसरे देशों के झंडे को प्यार करने लगे हैं। लोग जब दो जून की रोटी कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो कुछ लोग फुटबॉल खिलाड़ियों के बड़े-बड़े कटऑउट पर फिजूल का खर्च कर रहे हैं। एक तरफ बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, वहीं दूसरी तरफ लोग टीवी से चिपके रहते हैं, जबकि उन्हें मस्जिद में जाकर नमाज अदा करना चाहिए। समिति ने फुटबॉल फैंस को पुर्तगाल और यूरोपीय देशों का महिमामंडन करने से दूर रहने की भी चेतावनी दी है। समिति का कहना है कि ये देश भारत पर आक्रमण करने वाले रहे हैं और उनका आक्रमण का इतिहास रहा है। समिति का मानना है कि चाहे खेल हो या राजनीति या फिर सिनेमा के एक्टर हर जगह से व्यक्ति पूजा पर रोक लगनी चाहिए।

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समिति ने कहा कि लोगों को मानसिक और शारीरिक हेल्थ के लिए कड़े नियमों का पालन करना चाहिए। समिति ने लोगों से कहा कि वे रात भर फुटबॉल न देखें और न ही नमाज छोड़ें। साथ ही इस्लाम विरोधी प्रचार करने वाले देशों की सराहना बिल्कुल भी न करें। समिति ने कहा कि खेल को खेल की भावना से ही देखना चाहिए। क्योंकि जो लोग इस पर समय और पैसा खर्च करते हैं वह भगवान की देन है और हर व्यक्ति को एक-एक घड़ी, पाई-पाई का हिसाब मालिक से देना होगा। इसलिए फुटबॉल को लत नहीं बनना चाहिए। कुछ खेलों और खिलाड़ियों का हम पर बहुत प्रभाव पड़ता है लेकिन इसे आदत नहीं बनने देना चाहिए। नशा सिर्फ शराब और ड्रग्स का ही नहीं है बल्कि बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम मनोरंजन मानकर देखते हैं लेकिन वह हमें कमजोर बनाती है। इस बीच माकपा नेता और शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने कहा कि लोगों को अपने स्टार खिलाड़ियों की सराहना करने का पूरा अधिकार है। फुटबॉल की सराहना करना व्यक्तिगत पसंद है। 

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