सिर्फ 9.55 सेकेंड में 100 मीटर दौड़कर छा गया यह किसान, उसैन बोल्ट के नाम है 9.58 सेकेंड में 100 मी. का रिकॉर्ड

13.62 सेकेंड में 142.50 मीटर की दूरी तय करने वाले श्रीनिवास गौड़ा अब केन्द्रीय खेल मंत्री किरण रिजीजू से मिलेंगे। बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा के कहने पर खेल मंत्री ने यह निर्णय लिया है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2020 10:32 AM IST / Updated: Feb 18 2020, 10:38 PM IST

नई दिल्ली. 13.62 सेकेंड में 142.50 मीटर की दूरी तय करने वाले श्रीनिवास गौड़ा अब केन्द्रीय खेल मंत्री किरण रिजीजू से मिलेंगे। बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा के कहने पर खेल मंत्री ने यह निर्णय लिया है। रिजीजू ने कहा कि में श्रीनिवास गौड़ा को फोन करूंगा। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कोच उसका ट्रायल लेंगे। अगर गौड़ा इस ट्रायल में सफल रहते हैं तो उनके भविष्य पर भी खेल मंत्रालय निर्णय ले सकता है। इससे पहले भी मध्यप्रदेश का एक युवक अपनी स्पीड को लेकर चर्चा में आया था। हालांकि ट्रायल में वह कुछ खास नहीं कर पाया और एथलीट के रूप में उसका करियर भी आगे नहीं बढ़ा। 

किरण रिजीजू ने कहा कि देश में ज्यादातर लोगों को एथलेटिक्स के बारे में जानकारी नहीं है। ओलंपिक में पास होने के लिए ताकत और धैर्य दोनों की जरूरत होती है। मैं हर हाल में सुनिश्चित करना चाहूंगा कि देश में कोई भी प्रतिभा बिना जांच के नहीं रहे। 

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आनंद महिंद्रा ने की थी अपील 
बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने भी इस युवक को लेकर ट्वीट किया था। केन्द्रीय खेल मंत्री किरण रिजीजू से अपील करते हुए कहा था कि इस लड़के में ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने की काबिलियत दिखती है। किरण रिजीजू को इस पर ध्यान देना चाहिए और इसे 100 मीटर एथलेटिक्स की तैयारी करानी चाहिए हमें इस लड़के लिए गोल्ड मेडल जीतना है। 

बोल्ट से तेज दौड़ने का किया दावा 
सोशल मीडिया पर लगातार गौड़ा की फोटो शेयर की जा रही है और दावा किया जा रहा है कि कीचड़ भरी जमीन में बिना जूते चप्पल के दौड़ते हुए उसने उसैन बोल्ड से जल्दी 100 मीटर की दूरी तय कर ली। बोल्ट का वर्ल्ड रिकॉर्ड 9.58 मीटर का है, पर दावे के मुताबिक गौड़ा ने यह दूरी 9.55 सेकेंड में ही तय कर ली है। हालांकि ओलंपिक के रिकॉर्ड की तुलना कंबाला रेस से नहीं की जा सकती।  

कर्नाटक के पारंपरिक खेल में बनाया रिकॉर्ड 

श्रीनिवास गौड़ा ने कर्नाटक के पारंपरिक खेल कंबाला में यह रिकॉर्ड बनाया है। इस रेस में किसान दौ बैलों के साथ दौड़ते हैं। नीचे की जमीन साधारण होने की बजाय कीचड़ भरी होती है और दौड़ने वाले किसानों के पैर में जूते भी नहीं होते हैं।  

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