गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat assembly elections) से ठीक पहले भाजपा ने बड़ा दांव खेल दिया है। शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में कमेटी बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया गया। तीन से चार सदस्यों वाली इस कमेटी की अध्यक्षता रिटायर जज करेंगे।
गांधीनगर। गुजरात सरकार ने राज्य में शनिवार को समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए कमेटी बनाने का फैसला किया है। गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि, चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ हैं, मगर संभावना जताई जा रही है कि अगले हफ्ते में चुनाव आयोग इसकी घोषणा कर सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव से ठीक पहले भाजपा कमेटी बनाने का फैसला देकर बड़ा दांव खेल रही है।
इस संबंध में राज्य मंत्रिमंडल की शनिवार को अहम बैठक हुई, जिसमें गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कमेटी के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। माना जा रहा है कि यह राज्य सरकार की अंतिम कैबिनेट बैठक होगी, क्योंकि चुनाव आयोग संभवत: अगले हफ्ते में कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है, जिसके बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी। बैठक में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा, तीन से चार सदस्यों वाली इस समिति की अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर जज करेंगे। बता दें कि इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकारें अपने-अपने राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा कर चुकी हैं।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
भारत में धार्मिक विविधता होने की वजह से प्रत्येक प्रमुख धार्मिक समुदाय के धर्मग्रंथों और रीति-रिवाजों पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों से प्रत्येक नागरिक को नियंत्रित करता है। लेकिन समान नागरिक संहिता से देश के सभी नागरिकों पर एक समान कानून के तहत न्याय पाने का अधिकार होगा। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होने की बात कही गई है। संविधान में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत के रूप में अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का प्रावधान है। इसके अनुसार "राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।"
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समान नागरिक संहिता का लाभ
सभी नागरिकों को समान दर्जा: एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश के रूप में यहां रहने वाले सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म, वर्ग, जाति, लिंग आदि के बावजूद एक समान नागरिक और व्यक्तिगत कानून का लाभ मिलेगा।
जेंडर असमानता होगा खत्म: दरअसल, माना जाता है कि सभी धर्मों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया है। उत्तराधिकार और उत्तराधिकार के मामलों में पुरुषों को आमतौर पर ही अधिकार मिले हुए हैं। समान नागरिक संहिता पुरुषों और महिलाओं दोनों को बराबरी पर लाएगी।
युवा आबादी धर्म और जाति की बेड़ियों से होगी आजाद: देश की युवा आबादी धार्मिक रूढ़ियों को त्यागकर अपनी जिंदगियों को दूसरे धर्म के साथी के साथ जीना पसंद कर रहे हैं। समान नागरिक संहिता से उनको सीधे तौर पर लाभ होगा।
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