कोरोना मे छलका मासूमों का दर्द..4 दिन से भूखे, घर में कुछ नहीं बचा, पापा बाजार जाते तो पुलिस मारती

कोरोना के कहर का सबसे ज्यादा असर देहाड़ी मजदूरों के परिवारों पर पड़ा है। देश में कई ऐसे इलाके हैं जहां उनकी झोंपड़ियों में अब राशन का एक दाना नहीं बचा है। ट्विटर पर एक ऐसा ही वीडिया वायरल हो रहा है। जिसमें छोटे-छोटे बच्चे अपना पेट भरने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 26, 2020 8:43 AM IST / Updated: Mar 26 2020, 02:27 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना के कहर का सबसे ज्यादा असर देहाड़ी मजदूरों के परिवारों पर पड़ा है। देश में कई ऐसे इलाके हैं जहां उनकी झोंपड़ियों में अब राशन का एक दाना नहीं बचा है। ट्विटर पर एक ऐसा ही वीडिया वायरल हो रहा है। जिसमें छोटे-छोटे बच्चे अपना पेट भरने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं।

लॉकडाउन में छलका मासूमों का दर्द
दरअसल, ट्विटर पर शेयर किया गया यह वीडिया देश की राजधानी दिल्ली का बताया जा रहा है। यह लोग फतेहपुर बेरी के चंदन होला इलाके में रहते हैं। यहां की झुग्गी इलाके में करीब डेढ़ सौ से ज्यादा मजदूर परिवार रहते हैं। कोरोना ने उनके हालात ऐसे बना दिए हैं कि उनकी झोंपडियों में खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। आलम यह है कि उनके बच्चे पिछले तीन से चार दिन से भूखे हैं। जब उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा तो वह अपने परिवार के साथ सड़क पर आकर प्रशासन से पेट भरने के लिए गुहार लगा  रहे हैं।

कोरोना का तो पता नहीं, भूख से मर जाएंगे
जब कुछ लोगों ने इनके हालतों के बारे जानकारी जाननी चाही तो मासूम बच्चे रोने लगे। वह रोते हुए बोले-हम लोगों ने तीन से चार दिन से भरपेट खाना भी नहीं खाया है। पापा जब बाजार कुछ लेने के लिए जाते हैं तो पुलिस उनको मारकर घर वापस भेज देती है। इस बच्चों के साथ कुछ महिलाएं भी थीं। वह हाथ जोड़कर यही कह रही थीं कि कोरोना का तो हमको पता नहीं, लेकिन कुछ खाने को नहीं मिला, तो भूख से जरुर मर जाएंगे।

इनके पास ना राशनकार्ड और ना ही पहचान पत्र
जब एक एनजीओ ने इनसे संपर्क किया तो पता चला कि इन मजदूरों के पास ना तो कोई  राशनकार्ड है और ना ही को पहचान पत्र। इस वजह से उनको सरकार किसी योजना का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सामाजिक संस्था के लोगों ने स्थानीय पार्षद, विधायक और सांसद से अपील की है कि इनको खाना मुहैया कराया जाए।

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