मोरबी ब्रिज त्रासदी: बेटी-बहन, भतीजा और भतीजी सभी खत्म, जिसे गोद में उठाकर चूमा था अब उसका शव कंधे पर

गुजरात के मोरबी में ब्रिज हादसे में अब तक 135 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी कई लोग लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है। इस हदासे ने कई परिवारों को खत्म कर दिया है। तो वहीं किसी के माता-पिता तो किसी के बच्चों की मौत हो गई।
 

अहदाबाद. गुजरात के मोरबी में रविवार को हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। कैसे पलभर में सस्पेंशन ब्रिज टूटा और 135 लोगों की मौत हो गई। इस हदासे ने कई परिवारों को उजाड़कर रख दिया है। मारे गए इन लोगों में कई तो एक ही परिवार के थे। जबकि कई ऐसे भी हैं जिनका पूरा परिवार ही खत्म हो गया। इसमें से एक परिवार ऐसा भी है, जहां घर के मुखिया ने बेटी, बहन, भतीजा और भतीजी समेत कुल छह लोगों को गंवाया है। उनके आंसू  रोकने के नाम नहीं ले रहे हैं, वह यही कहे जा रहे हैं कि इस पुल ने तो हमारा सबकुछ तबाह कर दिया।

कुछ देर पहले मासूम को गोद में उठाया, फिर कंधे पर आ गई उसकी अर्थी
परिवार के मुखिया महबूब भाई मीरा ने न्यूज चैनल के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कहा-इस हादसे में जान गंवाने वाले उनके परिवार की सबसे कम उम्र की तीन साल की बच्ची थी, जिसे हादसे से पहले मैंने गोद में उठाया था। उसे चूमकर मैंने ब्रिज पर भेजा था। लेकिन क्या पता था कि वह उसे आखिरी बार देख रहे हैं। परिवार के अन्य लोगों की तरह वो मासूम भी नदी में जा गिरी। एक दिन बाद जब उसी बच्ची का शव मेरे कंधे पर आया तो मेरा कलेजा कांप गया।

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बेटी दुल्हन बनने वाली थी, लेकिन उठ गई उसकी अर्थी
महबूब ने बताया कि इस हदासे में मारे जाने वाली दूसरी लड़की 20 साल की थी, जिसकी अगले महीने शादी होने वाली  थी। हम लोग उसके विवाह को लेकर बहुत खुश थे। वो भी खुश थी कि जल्द ही दुल्हन बनने वाली है। लेकिन ऊपर वाले को शायद यह मंजूर नहीं था। तभी तो जिन हाथों से उसे लाल जोड़े में विदा करना था, अब उसकी अर्थी को कंधा दिया। महबूब ने बताया कि उनके परिवार के 35 सदस्य ब्रिज पर घूमने गए थे। वह इसलिए नहीं गए थे कि क्योंकि उन्हें अपनी पत्नी मीरा रशीदा बेन के साथ बाजार जाना था। क्योंकि उन्हें अपनी लड़की की शादी के लिए आभूषण खरीदने थे, उसकी अगले 15 दिन में सगाई होनी थी। लेकिन इससे पहले ही उसीक मौत हो गई।

जीते जी इस मंजर को नहीं भूल पाऊंगा
परिवार के मुखिया महबूह ने गुस्से में कहा-हादसे के बाद घटनास्थल पर एंबुलेंस को आने में करीब एक घंटे का समय लगा। वहीं प्रशासन के लोग तो दो घंटे बाद वहां पहुंचे। जिसके चलते कई ऐसे लोग थे जो अपनों को देख नदी में कूद पड़े। कई तो ऐसे लोगों की जान गई है जो बचाने के लिए कूदे थे। अगर समय पर प्रशासन पहुंच जाता तो कई और जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। उन्होंने कहा-मेरे लिए तो यह हादसा जिंदगीभर नहीं भूलने वाला है। जब तक जीवित रहूंगा उस मंजर को नहीं भूल  पाऊंगा। क्योंकि इस हादसे में बेटी, बहन, भतीजा और भतीजी समेत कुल छह लोगों को गंवाया है।

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