क्यों भूल गए मेरे पापा की शहादत, 4 साल से ऐसे ही गुमसुम है शहीद की बेटी

देश पर मर मिटना गर्व का विषय होता है। लेकिन शहीद के परिजनों के प्रति भी देश-समाज और सरकार की जिम्मेदारी बनती है। यह बेटी सरकार को उन्हें वादों को पिछले चार सालों से याद दिलाने की कोशिश की रही है।

धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश. देश की सुरक्षा पर अपनी जान देना गौरवशाली होता है। लेकिन इसके बाद शहीद के परिजनों के प्रति सरकार की भी बड़ी जिम्मेदारी बनती है। यह लड़की सरकार को उसके वादे याद दिलाने की कोशिश कर रही है। उल्लेखनीय है कि 2 जनवरी 2016 की सुबह पठानकोट के एयरबेस में हुए आतंकी हमले में हवलदार संजीवन राणा(50) शहीद हो गए थे। तब सरकार ने शहीद के परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के अलावा और भी कई घोषणाएं की थीं। लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया।

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बेटे ने पूरा किया पिता का सपना..
पिता चाहता था कि उसका बेटा आर्मी मे जाए। बेटे शुभम ने अपने पिता की इच्छा पूरी की। लेकिन इसमें शासन-प्रशासन ने कोई मदद नहीं की। शहीद की दो बेटियां हैं। दो साल पहले परिजनों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को सरकार के वादे याद दिलाए। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। उल्लेखनीय है कि शहीद का परिवार शाहपुरा उपमंडल के गांव सियूंह में रहता है। सरकार ने छतड़ी कॉलेज का नाम शहीद के नाम पर करने और गांव के पार्क में प्रतिमा लगाने का भी वादा किया था। शहीद की छोटी बेटी कोमल ने मायूस होकर कहा,'मुझे अपने पापा पर गर्व है, लेकिन दुख है कि सरकार ने अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया।'

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