गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Elections 2022) की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। गुजरात में कच्छ जिले की मांडवी विधानसभा सीट के बारे में सब कुछ जानें।
मांडवी. गुजरात के कच्छ जिले की मांडवी विधानसभा सीट पर इस समय बीजेपी का कब्जा है। यहां से भारतीय जनता पार्टी के जडेजा विरेंद्र सिंह बहादुर सिंह ने कांग्रेस के दिग्गज नेता शक्ति सिंह गोहिल को करीब 9 हजार मतों से शिकस्त दी थी। गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में कुल 17 उम्मीदवार इस सीट से चुनाव लड़े जिनमें से 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए इस सीट पर फिर से संभावित प्रत्याशियों की सक्रियता बढ़ गई है। माना जा रहा है कि भाजपा, कांग्रेस के बीच फिर से घमासान होने की उम्मीद है। हालांकि आम आदमी पार्टी भी इस सीट से अपना प्रत्याशी उतार सकती है।
विधानसभा चुनाव 2017 में मांडवी में वोटिंग ट्रेंड
इस सीट पर कुल 2,24,901 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 1,59,026 मतदाताओं ने वोटिंग की। चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं मांडवी सीट पर 71.16 प्रतिशत वोटिंग हुई। यहां 9 दिसंबर 2017 को वोटिंग हुई और 18 दिसंबर 2017 को चुनाव परिणाम सामने आए। 2017 में विजयी प्रत्याशी विरेंद्र सिंह जडेजा को कुल 79469 वोट मिले जबकि कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल 70423 वोटों से संतोष करना पड़ा। इस विधानसभा सीट पर भी हार-जीत के वोटों का अंतर 10 हजार से भी कम रहा। मांडवी विधानसभा सीट कच्छ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां के सांसद भी भारतीय जनता पार्टी के ही हैं।
क्या है मांडवी विधानसभा का वोट समीकरण
गुजरात के कच्छ जिले की मांडवी विधानसभा सीट को मुस्लिम बाहुल्य सीट माना जाता है क्योंकि यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50 हजार से ज्यादा है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 के आंकड़े देखें तो मांडवी सीट पर मुस्लिमों के बाद सबसे बड़ा वोट बैंक राजपूतों का है, जिनके करीब 21 हजार वोट हैं। कुल 2 लाख 24 हजार मतदाताओं वाले इस विधानसभा सीट पर लगभग 1 लाख 50 हजार लोग वोट करते हैं। इनमें मुस्लिम मतदाता 50 हजार, दलितों का वोट 31 हजार, पाटीदारों का वोट 25 हजार और राजपूतों का वोट 21 हजार के करीब है।
7 बार जीत चुकी है बीजेपी
1960 में गुजरात राज्य के गठन के बाद से भाजपा इस सीट से सात बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी है। वहीं कांग्रेस को यहां से 4 बार जीतने का मौका मिला है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में यह सीट हाई प्रोफाइल बन गई थी क्योंकि यहां से कांग्रेस उम्मीदवार शक्ति सिंह गोहिल ने चुनाव लड़ा। तब गोहिल को कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जाता था। हालांकि इस हाई प्रोफाइल मुकाबले में राजपूत बिरादरी के विरेंद्र सिंह जडेजा विजयी रहे, जिन्हें करीब 49 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। शक्ति सिंह गोहिल की हार भाजपा के लिए राज्य में मनोवैज्ञानिक बढ़त के लिए महत्वपूर्ण थी।
क्यों फेमस है मांडवी
गुजरात में कच्छ की खाड़ी के बीच स्थित मांडवी को शानदार समुद्री तट के लिए दुनिया भर में जाता है। सफेद बालू से सजे समुद्री तट पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र हैं। इस नगर की स्थापना 1581 में कच्छ के जडेजा शासक ने की थी। इतना ही नहीं यहां पर आज भी लकड़ी के जहाज बनाने का कारखाना मौजूद है। बताया जाता है कि मांडवी में खारवा शासकों ने बहुत पहले यहां जहाज निर्माण उद्योग शुरू किया था। जहां अभी लकड़ी के जहाज बनाए जाते हैं।
बंदरगाह शहर के तौर पर पहचान
मांडवी कच्छ का प्रमुख बंदरगाह भी है। मुंबई और सूरत बंदरगाहों से पहले यह पूरे गुजरात का प्रमुख बंदरगाह हुआ करता था। कच्छ के राजा खेगार्जी ने 1574 में मांडवी में बंदरगाह शहर की स्थापना की थी। इस बंदरगाह पर पूर्वी अफ्रीका, फारस की खाड़ी, मालाबार तट सहित दक्षिण-पूर्वी एशिया से जहाज आते हैं। व्यापारी और नाविक ही यहां के मुख्य निवासी हैं। यहां की दाबोली दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मांडवी में रोटी को ही दाबोली कहा जाता है जिसकी खोज 1960 में केशवजी चूडासामा ने की थी।
क्या क्या है मांडवी में खास
. सफेद बालू से सजे समुद्री किनारे
. शहर के चारों ओर शानदार चहारदीवारी
. कच्छ का प्रमुख बंदरगाह
. भद्रेश्वर व कोड़े में प्रसिद्ध जैन मंदिर
. मांडवी से 4 किमी दूर क्रांति तीर्थ
. शिप बिल्डिंग यार्ड जहां बनते हैं लकड़ी के जहाज
. मांडवी का एतिहासिक विजय विलास महल
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