कोरोना से जीती जंग तो बिजनेसमैन ने ऑफिस को बना दिया कोविड अस्पताल, नम आंखों से बताई इसके पीछे की वजह

सूरत के कारोबारी कादर शेख कोरोना को मात देकर घर लौटे हैं, उन्‍होंने कोरोना मरीजों के लिए अपने ऑफिस को अस्‍पताल बनाया है। उन्होंने कहा- प्राइवेट हॉस्पिट में इलाज का खर्च बहुत ज़्यादा होता है। गरीब आदमी इस तरह का इलाज कैसे अफोर्ड कर सकता है, इसलिए मैंने यह कोरोना का फ्री अस्पताल खोल दिया।

सूरत (गुजरात). पूरे देश कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, ऐसे में मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराना सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा है। इसी बीच गुजरात के बिजनेसमैन कादर शेख ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए संक्रमित लोगों के लिए अपने ऑफिस को अस्पताल बना दिया। जिसमें गरीबों का फ्री में इलाज होगा। उनके इस सराहनीय कदम की तारीफ आज हर कोई कर रहा है।

इस वजह से बनाना पड़ा कोरोना का फ्री अस्पाताल
दरअसल, इस नेक दिल इंसान का नाम कादर शेख है, जो सूरत के रियल एस्टेट कारोबारी हैं। कुछ दिन पहले ये बिजनेसमैन कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। 20 दिन तक इलाज कराने के बाद वह कोरोना को मात देकर अपने घर लौटे हैं। लेकिन अस्पताल का बिल देखकर वह हैरान थे, कहने लगे कि गरीब लोग कैसे इतना महंगा अपना इलाज कराते होंगे। इसके बाद उन्होंने कोरोना का अस्पताल बनाने का सोचा। जिसमें सभी लोग फ्री में इलाज करा सकें।

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अपने दफ्तर को बना डाला कोरना अस्पताल
डिस्चार्ज होने के तुरंत बाद कादर शेख ने अपने दफ्तर पहुंचे और उसको अस्पताल बनाने का सोचा। फिर उन्होंने श्रेयम कॉम्प्लेक्स स्थित अपने 30 हजार स्क्वायर फीट ऑफिस को कोविड अस्पताल में तब्दील करना शुरू कर दिया। शेख ने इस तरह 85 बेड वाला कोविड अस्पताल बनाकर तैयार कर दिया है। जिसकी मंजूरी जिला प्रशासन ने भी दे दी। अब कोरोना मरीज इसमें अपना इलाज बिल्कुल फ्री करा सकते हैं।

कोरोना मरीज फ्री में करा सकते हैं अपना इलाज 
अब इस अस्पताल में डॉक्टरों, स्टाफ, मेडिकल उपकरणों तथा दवाओं का खर्च सरकार वहन करती है, तथा बिस्तरों, चादरों और बिजली का खर्च कदर शेख देते हैं।  मीडिया से बात करते हुए कारोबारी ने कहा- प्राइवेट हॉस्पिट में इलाज का खर्च बहुत ज़्यादा होता है। गरीब आदमी इस तरह का इलाज कैसे अफोर्ड कर सकता है, इसलिए मैंने यह कोरोना का फ्री अस्पताल खोल दिया।

पोती के नाम रखा हॉस्पिटल का नाम 
बता दें कि बिजनेसमैन कादर शेख ने इस हॉस्पिटल का नाम अपनी पोती 'हीबा' के नाम पर रखा है। शेख का कहना है कि इस अस्पताल में कोई अमरी-गरीबी का भेदभाव नहीं होगा, किसी धर्म और जाति का मरीज यहां पर फ्री में इलाज करा सकता है।

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