गुजरात फतह की तैयारी : राहुल गांधी का चुनावी शंखनाद, दाहोद रैली के बहाने कांग्रेस को एकजुट करने का प्लान

दाहोद में आदिवासी वोटबैंक का अच्छा खासा दबदबा है। यहां के आदिवासियों को कांग्रेस का कोर वोटबैंक माना जाता है। गुजरात में पिछले कई चुनावों से आदिवासी समाज कांग्रेस के काफी करीब रहा है। यही कारण है कि चुनाव में कांग्रेस को इस समाज का वोट मिलता रहा है। 

दाहोद : गुजरात (Gujarat) में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) है। इससे पहले सभी सियासी दल अपनी जमीन तैयार  करने में जुट गए हैं। कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं। इसी कड़ी में चुनावी हुंकार करने आज राहुल गांधी (Rahul Gandhi) दाहोद पहुंचे। यहां वे आदिवासी सम्मेलन में शामिल हुए। रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह जनसभा नहीं है। यह एक आंदोलन की शुरुआत है। यह सत्याग्रह की शुरुआत है। राहुल का यह दौरा कई मायनों में काफी खास माना जा रहा है

कोरोना के बहाने केंद्र पर निशाना
राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने एक वक्त मनरेगा पर सवाल उठाया था। उसका मजाक बनाया था लेकिन देश को याद रखने की जरुरत है कि कांग्रेस पार्टी ने क्या किया था। कोरोना के वक्त अगर मनरेगा नहीं होता तो न जाने देख की हालत क्या होती? अकेले गुजरात में कोरोना ने तीन लोगों की जिंदगी छीन ली थी। गंगा मां लाशों से पट गई थी।  देश में कई लाख लोग मरे लेकिन ये लोग इस पर बात ही नहीं करते। ये लोग सिर्फ थाली बजाओ, लाइट जलाओ जैसी बात ही करते हैं।

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कालेधन का क्या हुआ
पीएम मोदी पर तंज सकते हुए राहुल गांधी नेकहा कि प्रधानमंत्री आए और नोटबंदी कर दी। आम जनता की जेब का पैसा निकाल लिया और कह दिया कि यह कालेधन के खिलाफ लड़ाई है लेकिन हुआ क्या पूरा देश बैंक के सामने खड़ा हो गया। उनकी कमाई का पाई-पाई बैंक में डाला और कालेधन के खिलाफ कुछ हुआ ही नहीं। इसका फायदा तो उल्टे अरबपतियों को ही हुआ।

यह आंदोलन की शुरुआत है-राहुल गांधी
कांग्रेस नेता आदिवासी सम्मेलन को सत्याग्रह की शुरुआत बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक जनसभा नहीं बल्कि आंदोलन की शुरुआत है। राहुल ने कहा कि नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने देश को अमीरों और गरीबों में बांट दिया। उन्होंने दो देश बना दिया एक अमीरों का, एक गरीब और आम जनता का। जबकि कांग्रेस को सिर्फ एक ही भारत चाहिए। जिसमें सिर्फ समानता ही हो। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार की हमेशा ही कोशिश रही कि आम जनता, दलितों और आदिवासियों और युवाओं को फायदा पहुंचाया जाए। 

आदिवासी वोटबैंक को साधने की कवायद
राहुल की इस रैली को आदिवासी वोटबैंक से जोड़कर देखा जा रहा है। गुजरात में पिछले कई चुनावों से आदिवासी समाज कांग्रेस के काफी करीब रहा है। यही कारण है कि चुनाव में कांग्रेस को इस समाज का वोट मिलता रहा है। 182 सीटों वाली विधानसभा में साल 2007 में जिन 27 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है, उनमें से कांग्रेस (Congress) ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं। 2017 में उसके पाले में फिर 14 सीट आई। 

कांग्रेस को एकजुट करने का भी प्लान
राहुल का यह दौरा कांग्रेस के लिए काफी खास माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि चुनाव में कुछ महीने ही बचे हैं और कांग्रेस की प्रदेश ईकाई में काफी नाराजगी है। कई नेता दूसरे दलों का दामन थाम चुके हैं तो हार्दिक पटेल जैसे नेता असंतुष्ट चल रहे हैं। इस दौरे पर संभावना है कि राहुल की मुलाकात हार्दिक पटेल (Hardik Patel) से हो। हाल ही में, हार्दिक ने सत्तारूढ़ भाजपा के साथ बातचीत की अटकलों के बीच अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस और पार्टी के चिन्ह को हटा दिया था। ऐसे में कहा जा रहा है कि राहुल उनके मिलकर बातचीत कर सकते हैं।

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