Himachal Pradesh Assembly Election 2022: जानें भरमौर विधानसभा का चुनावी गणित

Published : Jul 04, 2022, 06:31 PM ISTUpdated : Oct 19, 2022, 03:15 PM IST
Himachal Pradesh Assembly Election 2022: जानें भरमौर विधानसभा का चुनावी गणित

सार

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Pradesh Assembly Election 2022) में भरमौर विधानसभा सीट काफी मायने रखती है। इस सीट का चुनावी गणित कुछ ऐसा ही है।   

नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Pradesh Assembly Election 2022) में भरमौर विधानसभा सीट को लेकर तैयारियां अभी से चल रही हैं। हालांकि इस सीट को परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट माना जाता है। 2021 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कुशल चंद को करीब 7 हजार वोटों से शिकस्त दी। 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में भी भरमौर सीट पर भारतीय जनता पार्टी के जियालाल विजेता बने थे, उन्होंने कांग्रेस ठाकुर सिंह भरमौरी को करीब 7 हजार मतों से हराया था। जबकि हिमाचल विधानसभा चुनाव 2012 में इस सीट पर ठाकुर सिंह भरमौरी चुनाव जीते थे। इससे पहले भाजपा चुनाव जीती थी। हिमाचल प्रदेश की इस विधानसभा सीट पर एक बार कांग्रेस तो दूसरी बार बीजेपी के प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे हैं। 

क्या है इस सीट का वोटिंग ट्रेंड
भरमौर विधानसभा सीट पर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के जिया लाल को विजय मिली थी। तब उन्हें कुल 49.6 प्रतिशत वोट मिले। वहीं दूसरे नंबर पर रहने वाले कांग्रेस प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी को कुल 35.5 फीसदी वोट ही मिल सके। बाकी तीन प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान यहां कुल वोटरों की संख्या 63710 मतदाता थे। 

भरमौर में जनजातीय वोटरों की संख्या 
भरमौर विधानसभा क्षेत्र में गद्धी जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है। गद्धी बहुल स्थान होने के कारण भरमौर को गद्धेरण भी कहा जाता है। यह जनजाति मूल रूप से भेड़ बकरियों का पालन करते हैं। यही इनके जीवन यापन का आधार भी है। इस जाति के लोगों ने यहां पहाड़ों के दोनों तरफ घर बना लिए हैं। हालांकि अब यह जनजाति मंडी के अलावा बिलासपुर, कांगड़ा आदि स्थानों में भी बस चुके हैं। आंकड़ों की मानें तो जनजातीय लोगों की जनसंख्या 50 फीसदी के आसपास है। 

84 मंदिरों का है यह इलाका
भरमौर की बात करें तो एक वक्त ऐसा भी था जब बर्फबारी की वजह से यह इलाका पूरी तरह से कट जाता था। करीब 6 महीने तक यहां आना-जाना मुश्किल हो जाता था। कुछ साल पहले इस इलाके में हाईडल प्रोजेक्ट आए जिसके बाद भरमौर की सड़कों को बनाया गया। अब यहां 12 महीन आवागमन किया जा सकता है। इस विधानसभा क्षेत्र में मणिमहेश की तीर्थयात्रा की जाती है। इस धार्मिक यात्रा में 84 मंदिरों की यात्रा की जाती है, जिसका ऐतिहासिक महत्व है। यहां के लोगों की कमाई का मुख्य जरिया सेब की खेती है। 

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