पुलिस अधिकारी जांच के दौरान निर्दोषों का उत्पीड़न नहीं करें, निर्दोष आदिवासी की गिरफ्तारी पर झारखंड HC का आदेश

पड़ोसी महिला के आत्महत्या के मामले में एक आदिवासी व्यक्ति को आरोपी बनाने पर झारखंड हाईकोर्ट ने पुलिस प्रशासन पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिए कि सुनिश्चित करें कि निर्दोषों को किसी भी सूरत में प्रताड़ित नहीं किया जाए। 

रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने डीजीपी को यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दिया कि निर्दोष व्यक्तियों, जिनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है, उन्हें परेशान नहीं किया जाए। कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारियों मनमानी निर्दोषों की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं कर सकती।  

जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने आदिवासी व्यक्ति को 50 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश देते हुए डीजीपी को यह निर्देश दिए। पीड़ित आदिवासी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एक आरोपी बनाया गया था। बिना किसी गलती और बिना  किसी सबूत के उसे हिरासत में रखा गया था।  

Latest Videos

एक जुलाई से हिरासत में रखे थी पुलिस
इस मामले में याचिकाकर्ता सनिचर कोल के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप लगाया गया था। उसे एक जुलाई 2021 से हिरासत में रखा गया था। निचली अदालत से उसकी जमानत याचका खारिज कर दी गई, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का रुख किया। सनिचर पर 36 साल की महिला आशा देवी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था। आशा देवी की ससुराल में पति द्वारा हत्या कर दी गई थी। 

लखनऊ में कुत्तों के काटने से मासूम की मौत पर मानवाधिकार के बाद कोर्ट गंभीर, सरकार व अन्य विभागों को नोटिस जारी

सिर्फ शव के पास बैठा होना दोषी होने का सबूत नहीं
आशा देवी की बहन ने उसकी हत्या का आरोप उसके पति पति गोविंद मंडल, उसके बहनोई नरेश मंडल और सनिचर कोल पर लगाया। इसी आधार पर सनिचर को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने पाया कि इस याचिकाकर्ता द्वारा कोई भी ऐसा काम नहीं किया गया था, जिससे उस पर लगाए गए आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप साबित हो सकें। कोर्ट ने कहा सबूतों के आधार पर यह साफ है कि याचिकाकर्ता (सनिचर कोल) सिर्फ महिला के शव के पास बैठा था। इसलिए उसे इस मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। 

आरोपी ने पड़ोसी धर्म निभाया
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता सनिचर कोल मृतका का पड़ोसी है, जो मृतक के पति के बुलाने पर घटनास्थल पर पहुंचा। उस समय मृतक का शव लटका हुआ पाया गया था। आशा देवी के पति ने सनिचर को उसे फंदे से उतारने के लिए बुलाया था और उसकी मदद से आशा देवी को फंदे से नीचे उतारा। कोर्ट ने कहा कि इसे अपराध किसी भी सूरत में नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उसने एक पड़ोसी के रूप में अपने दायित्व को पूरा किया था। कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि इस तरह के अपराध में याचिकाकर्ता को धारा 306/34 के तहत दंडनीय अपराध में कैसे आरोपी बनाया गया और हिरासत में क्यों लिया गया?

सरकार को आदेश-  50 हजार का मुआवजा दें
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को मानवता दिखाने पर न केवल प्रताड़ित किया गया, बल्कि उसकी आजादी को भी खतरे में डाला गया। इसे देखते हुए, अदालत ने 1/- रुपये के निजी मुचलके पर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के अंतरिम आदेश दिए और सरकार को आदेश दिए कि याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाए। 

यह भी पढ़ें 15 मैचों के बाद देखें IPL 2022 का गणित, कौन सी टीम मार रही बाजी, किस खिलाड़ी को मिल रही पर्पल और ऑरेंज कैप

Share this article
click me!

Latest Videos

Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी
अब क्या करेगा भारत... बांग्लादेश सरकार ने कहा- शेख हसीना को भेजिए वापस, बताई ये वजह
ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
LIVE 🔴: कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में पीएम मोदी का भाषण
Delhi Election से पहले BJP ने जारी की Arvind Kejriwal के खिलाफ चार्जशीट