याचिका में कहा गया है कि चार-पांच अगस्त, 2019 की दरम्यानी रात में मुबीन को श्रीनगर के डलगेट में उनके आवास से बगैर किसी वारंट के गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के समय उन्हें हिरासत में लिये जाने की वजह भी नहीं बतायी गयी थीं।
नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन से सवाल किया कि मलेशिया में बसे प्रवासी भारतीय कारोबारी की हिरासत को चुनौती देने वाली उसकी पत्नी की याचिका पर उसने अभी तक जवाब दाखिल क्यों नहीं किया? अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान रद्द किये जाने के बाद से यह कारोबारी हिरासत में है। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि यह ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ से संबंधित मामला है और जम्मू कश्मीर प्रशासन को इस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करना चाहिए था।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है मामला
पीठ ने सवाल किया, ‘‘आपने (जम्मू कश्मीर प्रशासन) जवाब क्यों नहीं दाखिल किया। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामला है। आपको कल तक जवाब दाखिल कर देना चाहिए था। राज्य प्रशासन की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह आज ही इस याचिका पर जवाब दाखिल कर देंगे। शीर्ष अदालत कारोबारी मुबीन अहमद शाह की पत्नी आसिफा मुबीन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में आसिफा ने अपने पति को जम्मू कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा कानून, 1978 की धारा 8 (1)(ए) के तहत हिरासत मे लेने संबंधी सात अगस्त का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया है।
फिलहाल आगरा जेल में है कारोबारी
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचन्द्रन ने पीठ से कहा कि आगरा जेल के अधीक्षक ने याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि कारोबारी की सेहत ठीक है। यह कारोबारी इस समय आगरा जेल में है। पीठ ने कहा कि जेल अधीक्षक का हलफनामा चार अक्टूबर का है। पीठ ने मेहता से कहा कि वह संबंधित अधिकारी को इस मामले में नया हलफनामा दाखिल करने की हिदायत दें।
शीर्ष अदालत इस मामले में अब 24 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।
कई गंभीर आरोपियों से पीड़ित है कारोबारी
न्यायालय ने 20 सितंबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन को इस याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था याचिका में मुबीन को अदालत में पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। आसिफा ने याचिका में कहा है कि उसके पति इस समय आगरा की सेन्ट्रल जेल में हैं और उन्हें गलत तरीके से व्यक्तिगत आजादी से वंचित किया गया है। याचिका में कहा गया है कि हिरासत में लिये गये (मुबीन) देश के एक वरिष्ठ और सम्मानित नागरिक, योग्यता प्राप्त चिकित्सक और मलेशिया में बसे प्रवासी भारतीय कारोबारी हैं, जिन्हें गुर्दे की बीमारी सहित कई गंभीर बीमारियां हैं, और उन्हें पांच अगस्त, 2019 से गैरकानूनी तरीके से जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित किया गया है।
गिरफ्तारी के समय नहीं बताई वजह
याचिकाकर्ता के अनुसार मुबीन शाह 18 अप्रैल को अपनी रिश्तेदार के अंतिम रस्मों में शरीक होने के लिये श्रीनगर आये थे और वह यहां रूके थे क्योंकि उनके ससुर बीमार थे और उनका जुलाई में इंतकाल हो गया। याचिका के अनुसार चूंकि मुबीन शाह की तबियत ठीक नहीं थी, इसलिए उन्हें मई के महीने में श्रीनगर के अस्पताल में भी दाखिल किया गया था। याचिका में कहा गया है कि चार-पांच अगस्त, 2019 की दरम्यानी रात में मुबीन को श्रीनगर के डलगेट में उनके आवास से बगैर किसी वारंट के गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के समय उन्हें हिरासत में लिये जाने की वजह भी नहीं बतायी गयी थीं। याचिका के अनुसार मुबीन शाह को हिरासत में रखने से संविधान के अनुच्छेद 21 प्रदत्त सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)