जब केजरीवाल ने कांग्रेस के मदद से बनाई थी सरकार, जानिए 49 दिन में ही क्यों दिया इस्तीफा?

आज भले अरविंद केजरीवाल को देश में बहुत लोग जानते हैं, लेकिन उस समय उनका दिल्ली का मुख्यमंत्री बन जाना किसी चमत्कार से कम नहीं था
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 28, 2019 11:29 AM IST / Updated: Dec 28 2019, 05:15 PM IST

नई दिल्ली: आज की तारीख देश की राजधानी दिल्ली के चुनावी इतिहास में एक बड़े उलटफेर के साथ दर्ज हैं। छह बरस पहले इसी दिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की मदद से दिल्ली में पहली बार सरकार बनाई। आज भले अरविंद केजरीवाल को देश में बहुत लोग जानते हैं, लेकिन उस समय उनका दिल्ली का मुख्यमंत्री बन जाना किसी चमत्कार से कम नहीं था।

अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन छोड़कर राजनीति में आए केजरीवाल के नेतृत्व में 2013 में चुनावी समर में उतरी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा में अपनी किस्मत आजमाई और 28 सीटें जीतकर सारे राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमानों को गलत साबित कर दिया।

ऐसे हुई राजनीति में एंट्री

बात 2011 की है,  अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल लाने का आंदोलन छेड़ दिया, जिसे जनता का भरपूर समर्थन मिला। उस वक्त हजारे के साथ पूर्व आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी, पूर्व आईआरएस ऑफिसर अरविंद केजरीवाल, कवि कुमार विश्वास जैसे कई लोग थे। आंदोलन में लाखों की भीड़ उमड़ी, जिसे दबाने का सरकार ने पूरा प्रयास भी किया। अन्ना की जिद के सामने सरकार झुक गई और लोकपाल बिल पास कराने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसके बाद भी लोकपाल बिल पास नहीं हुआ तो लोग अन्ना हजारे से राजनीति में आने और चुनाव लड़ने की अपील करने लगे, लेकिन अन्ना इससे राजी नहीं थे।

ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में आने और चुनाव लड़ने का फैसला किया। केजरीवाल के इस कदम से अन्ना का आंदोलन फीका पड़ गया और दोनों के बीच मतभेद बढ़ गए। अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास, गोपाल राय आदि के साथ मिलकर 'आम आदमी पार्टी' बनाई

हैरान कर देने वाला 2013 का विधानसभा चुनाव 

2013 के विधानसभा चुनाव ने किया हैरान 2013 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस और बीजेपी को टक्कर देने के लिए आप मैदान में उतरी। नतीजे बेहद चौंकाने वाले थे। 28 सीटों के साथ आप सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि सत्ता पर 15 साल से काबिज कांग्रेस को महज 8 सीटें ही मिलीं।  इस चुनाव में आठ सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए आम आदमी पार्टी को बिना शर्त समर्थन देकर उसके सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया।

49 दिन में इस्तीफा

सत्ता संभालने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल कांग्रेस और बीजेपी पर काम नहीं करने देने का आरोप लगाते रहे। 14 जनवरी 2014 को उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी पर जनलोकपाल बिल पास नहीं करने देने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। केजरीवाल दिखाना चाहते थे कि उन्हें सत्ता का लोभ नहीं है, लेकिन मीडिया से लेकर राजनैतिक गलियारों में उन्हें अनुभव हीन और भगोड़ा कहा जाने लगा। हालांकि, जनता केजरीवाल के साथ डटी रही।

प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी

2015 में दिल्ली में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हुए और इस बार आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी। पार्टी ने 67 सीटों के साथ दिल्ली जीतकर इतिहास रचा। कुल 70 सीटों में बीजेपी महज 3 सीट हासिल कर सकी, जबकि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। तब से अब तक अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता संभाल रहे हैं। इस दौरान उनके साथ राजनीतिक सफर शुरू करने वाले कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव, कपिल मिश्रा, आशुतोष इस पार्टी से अलग हो चुके हैं। 

2020 में फिर विधानसभा चुनाव

अब अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, आप और भाजपा फिर से मैदान में एक-दुसरे के सामने खड़े हैं। केजरीवाल जहां 'अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल' नारे के साथ मैदान में है वहीं भाजपा और कांग्रेस केजरीवाल की सरकारी योजनओं से कोई लाभ न होने की बात कर रहें है।


 

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