उड़ीसा आज उत्कल दिवस मना रहा है। 1 अप्रैल 1936 को बिहार, मद्रास प्रेसीडेंसी, संयुक्त बंगाल के कुछ हिस्सों को अलग कर ओडिशा प्रांत को अलग पहचान मिली थी। ‘उत्कल दिवस’ या ‘उत्कल दिबाशा’ पर पूरे प्रांत में सरकारी दफ्तरों को तो सजाया ही जाता है, लोग अपने घरों-दूकानों को भी सजाते हैं। खेल-प्रतियोगिताओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
भुवनेश्वर. उड़ीसा आज उत्कल दिवस मना रहा है। आज ही के दिन ओडिशा को भाषाई आधार पर एक अलग राज्य का दर्जा मिला था। 1 अप्रैल 1936 को बिहार, मद्रास प्रेसीडेंसी, संयुक्त बंगाल के कुछ हिस्सों को अलग कर ओडिशा प्रांत को अलग पहचान मिली थी। अपने इस गौरवशाली दिन को पूरे उड़ीसा में बड़े धूमधाम से उत्सव की तरह मनाया जाता है। ‘उत्कल दिवस’ या ‘उत्कल दिबाशा’ पर पूरे प्रांत में सरकारी दफ्तरों को तो सजाया ही जाता है, लोग अपने घरों-दूकानों को भी सजाते हैं। खेल-प्रतियोगिताओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। आईए जानते हैं भारत के इस समृद्ध राज्य के बारे में...
देश की तीसरी बड़ी जनजातीय आबादी वाला है राज्य
ओडिशा राज्य में जनजातीय आबादी काफी अधिक है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो यहां तीसरी बड़ी आबादी जनजातीय लोगों की है। विभिन्न जनजातियों की अपनी भाषा तो यहां बोलचाल की भाषा है ही लेकिन अधिकारिक रुप से यहां उड़िया है। गैर जनजातीय समाज उड़िया में बात करता है। हालांकि, काफी हिस्से में यहां बंगाली भाषा भी बोली जाती है।
बदल चुका है राज्य का नाम, राजधानी भी बदली
भाषाई आधार पर अंग्रेजी हुकूमत ने उड़ीसा को अलग राज्य का दर्जा 1 अप्रैल 1936 को दिया था। पूर्व में इसे उड़ीसा ही कहते रहे हैं लेकिन 2011 में उड़ीसा के नाम को ओडिशा कर दिया गया। मार्च 2011 में संसद में विधेयक लाकर नाम संशोधन की मंजूरी दी गई।
वर्तमान समय में ओडिशा उत्तर-पूर्व में पश्चिम बंगाल, उत्तर में झारखंड, दक्षिण में आंध्र प्रदेश, पश्चिम में छत्तीसगढ़, पूर्व में बंगाल की खाड़ी के साथ अपनी सीमाओं को साझा करता है।
1,55,707 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले ओडिशा की राजधानी आजादी के पहले कटक हुआ करती थी। लेकिन आजाद भारत में प्रांत की राजधानी को भुवनेश्वर करने का फैसला किया गया। साल 1948 में ओडिशा की राजधानी को भुवनेश्वर में बनाया गया।
खनिज व धातु उद्योग यहां प्रमुख, पयर्टन की भी अपार संभावनाएं
ओडिशा में खजिन व धातु आधारित ढेर सारे उद्योग हैं जो राज्य की संपन्नता को बढ़ाने में योगदान करते हैं। राउरकेला स्टील्स, नेशनल एल्यूमिनियम कंपनी सहित दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं जो विश्व प्रसिद्ध हैं।
पर्यटन व धार्मिक दृष्टि से भी यह क्षेत्र काफी समृद्ध है। पुरी का भगवान जगन्नाथ मंदिर हो, विश्व प्रसिद्ध चिल्का झील हो या अन्य ऐतिहासिक स्थल यह यहां पर्यटकों को खूब लुभाता है। राउरकेला में भारत का सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम, बिरसा मुंडा अंतर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम, ओडिशा के गौरव को बढ़ाता है। साल 2019 में यहां 15.30 मिलियन घरेलू व 1,15,128 विदेशी पर्यटक आए थे।
प्राचीन इतिहास भी रहा है गौरवशाली
ओडिशा कई शक्तिशाली राजाओं के शासन का गवाह रहा है। मौर्य शासन के दौरान यह क्षेत्र कलिंग का हिस्सा बन गया। 261 ईसा पूर्व में राजा अशोक ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी। राजा खारवेल के शासन के दौरान राज्य को कला, वास्तुकला और मूर्तिकला की भूमि के रुप में पहचान मिली। गजपति मुकुंददेव ओडिशा के लोकप्रिय शासक थे। 1803 में यह क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आ गया।