मुस्लिमों ने पैसे इकट्ठे कर बनवाया मंदिर, दिवाली के मौके पर मौलवी ने किया उद्घाटन

पश्चिम बंगाल में मुस्लिम समुदाय ने मानवता और भाईचारे की अद्भुत मिसाल पेश की है। यहां सड़क बनाने के लिए एक मंदिर को तोड़ दिया गया था, जिसके बाद यहां के मुस्लिम समुदाय ने पैसे इकट्ठे करके उस मंदिर को दोबारा बनवाया और उनके मौलवी ने आकर मंदिर का उद्घाटन किया। 
 

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में मुस्लिम समुदाय ने मानवता और भाईचारे की अद्भुत मिसाल पेश की है। यहां सड़क बनाने के लिए एक मंदिर को तोड़ दिया गया था, जिसके बाद यहां के मुस्लिम समुदाय ने पैसे इकट्ठे करके उस मंदिर को दोबारा बनवाया और उनके मौलवी ने आकर मंदिर का उद्घाटन किया। 

2 साल पहले टूटा था मंदिर
बीरभूम जिले के बासापुरा में 2 साल पहले गांव की सड़क बनाने के लिए इस मंदिर को तोड़ दिया गया था। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने न सिर्फ इस मंदिर को दूसरी जगह बनावाया, बल्कि मंदिर को दूसरी जगह बनाने के लिए जमीन भी खरीदी। रविवार की रात जब पूरे राज्य में काली पूजा हो रही थी, उसी समय गांव के मौलवी नसिरुद्दीन मंडल ने काली मंदिर का उद्घाटन किया। मंदिर का उद्घाटन करने के बाद मौलवी ने कहा कि इससे पहले मैने मस्जिद और मदरसों का उद्घाटन किया था, पर यह पहली बार है जब मैने किसी मंदिर का उद्घाटन किया है, यह पूरी तरह से अलग फीलिंग होती है। 

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मुस्लिमों ने उठाया पैसे इकट्ठे करने का जिम्मा
2011 की जनगणना के मुताबिक ननूर ब्लॉक की कुल आबादी का 35 फीसदी हिस्सा मुस्लिम हैं। इन लोगों ने मंदिर के गिरने के बाद पैसे इकट्ठे करने का जिम्मा उठाया और 7 लाख रुपये इकट्ठे कर लिए। मंदिर को बनाने में कुल 10 लाख का खर्च आया है। मुस्लिम समुदाय ने 2018 और 2019 में दुर्गा पूजा में भी मदद की थी, क्योकि मंदिर न होने की वजह से पूजा करने में दिक्कत आ रही थी। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जरूरी सामान इकट्ठा करने में भी मदद की थी। 

हिंदू समाज ने भी दी भाईचारे की मिसाल 
हिंदू समाज के लोगों का कहना था कि मुस्लिम समुदाय की मदद के बिना दो सालों तक दुर्गा पूजा करना और मंदिर बनाना असंभव था। इसलिए जब मंदिर का उद्घाटन हुआ तब हमने मुस्लिम समुदाय को भी आमंत्रित किया। क्षेत्र के सड़क मामलों के प्रभारी करीम खान ने कहा, “हम इसे दो समुदायों को शामिल करने वाले मुद्दे के रूप में मानने के लिए तैयार नहीं हैं। हम सभी शांति से एक साथ रहते हैं। हम एक-दूसरे के साथ खड़े हैं और यह हमारी संस्कृति है। हमने मंदिर के पुनर्निर्माण में एक छोटी भूमिका निभाई है। ”

भाजपा नेता ने की तारीफ
मुस्लिमों के इस प्रयास की क्षेत्र के भाजपा नेता ने भी जमकर तारीफ की। बीरभूम जिला इकाई के भाजपा उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, "यह वास्तव में अच्छा है कि मंदिर के निर्माण में दोनों समुदायों के लोग एक साथ आए। हम विश्वास करते हैं कि हम एक साथ रहते हैं और धर्म से विभाजित नहीं होते हैं।

पहले भी सामने आ चुके हैं कई मामले
पश्चिम बंगाल में पिछले सालों में ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें स्थानीय लोगों ने भाईचारे की मिसाल पेश की है और जाति धर्म से ऊपर उठकर मानवता की भलाई की है।

1. दिसंबर 2018 में बीरभूम जिले के दुबराजपुर क्षेत्र के रहने वाले मोहम्मद फारुख ने श्मशान घाट बनाने के लिए अपनी जमीन दान कर दी थी। दान की गई जमीन का बाजार मूल्य लगभग 10 लाख रुपये था।

2. 2017 में पश्चिम मिदनापुर जिले के खड़गपुर शहर की एक मुहर्रम समिति ने ताजिया का आयोजन नहीं करने का फैसला किया और इसके पैसे एक हिंदू को दान कर दिए, जो कैंसर से जिंदगी की जंग लड़ रहा था। 

3. उसी साल मुहर्रम के मौके पर ताजिया में कोई भी ढोल बजाने वाला नहीं था, तब दुर्गा पूजा में ढोल बजाने वाले लड़कों ने ताजिया में भी ढोल बजाए थे। 

4. नवंबर 2017 में गरीबी के कारण एक हिंदू परिवार अपनी लड़की की शादी नहीं करा पा रहा था, तब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पैसे इकट्ठे करके उस लड़की की शादी करवाई थी।

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