
मुंबई। एनसीपी (NCP) नेता नवाब मलिक (Nawab malik) ने गुरुवार को कहा कि वे 9 दिसंबर तक NCB के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे़ (Sameer Wankhede) के खिलाफ न तो कोई बयान देंगे और न ही ट्वीट (Tweet) करेंगे। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High court) ने मलिक को वानखेड़े और उनके परिवार खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं करने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होनी है।
क्या आपने जाति के मामले में शिकायत दर्ज कराई?
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मंत्री से पूछा था कि क्या उन्होंने वानखेड़े की जातीय पहचान के खिलाफ अपने आरोपों के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। अगर आपने ऐसा नहीं कयिा हैतो फिर मीडिया में प्रचार के पीछे क्या मंशा है? अदालत ने कहा कि मंत्री (Minister) को यह चीज शोभा नहीं देती। अदालत की इस टिप्पणी पर मलिक ने कहा कि अगली सुनवाई तक मैं इस संबंध में न तो कोई ट्वीट करूंगा और न ही बयान दूंगा।
हाईकोर्ट की सलाह - द्वेष का अर्थ शब्दकोष में पढ़ें
मलिक के वकील कार्ल तम्बोली ने जस्टिस एस जे कथावाला और जस्टिस मिलिंद जाधव की पीठ के सामने उनका बयान दर्ज कराया। कोर्ट ने कहा कि वह अगली सुनवाई तक मंत्री को वानखेड़े के खिलाफ सार्वजनिक टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक आदेश पारित करना चाहती है। पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मलिक ने द्वेष में आकर ट्वीट किए थे। हाईकोर्ट ने सवाल किया- 'मंत्री ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं? हम यह जानना चाहते हैं। यह द्वेष के अलावा और कुछ नहीं है। कृपया शब्दकोश में द्वेष का अर्थ पढ़ें। पीठ, समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी गई है। एकल पीठ ने 22 नवंबर को मलिक को वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक बयान देने से रोकने से इनकार कर दिया था।
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