बेटे को डॉक्टर बनाने सबकुछ बेचकर उसे चीन भेजा..लेकिन उसी देश की फैलाई बीमारी ने दुनिया उजाड़ दी

एक पिता ने अपने बेटे को इसलिए डॉक्टर बनाया था, ताकि वो लोगों की सेवा कर सके। बेटे को MBBS कराने पिता ने जिंदगीभर जो कुछ कमाया-जोड़ा..सब उसकी पढ़ाई-लिखाई पर खर्च कर दिया। अब वो बेटे के लिए लड़की ढूंढ रहा था, लेकिन इससे पहले ही जिंदगी में कोरोना ने दस्तक दे दी और सबकुछ बिखर गया। यह कहानी 27 साल के डॉ. जोगिंदर की है। वे नई दिल्ली के डॉक्टर बाबा साहेब अंबेडकर हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे थे। 23 जून को उन्हें बुखार आया। मालूम चला कोरोना है। फिर 27 जुलाई को उनकी मौत हो गई। पिता को बेटे की मौत को गहरा सदमा बैठा है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 29, 2020 3:56 AM IST / Updated: Jul 29 2020, 09:27 AM IST

 

नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण सिर्फ शारीरिक नहीं, सामाजिक और आर्थिक बीमारी बनकर भी सामने आया है। कोरोना ने दुनियाभर में लाखों लोगों की रोजी-रोटी छीन ली। तीज-त्यौहारों पर असर डाला। लोगों को एक-दूसरे से दूर रहने पर विवश कर दिया। यह कहानी मार्मिक है। एक पिता ने अपने बेटे को इसलिए डॉक्टर बनाया था, ताकि वो लोगों की सेवा कर सके। बेटे को MBBS कराने पिता ने जिंदगीभर जो कुछ कमाया-जोड़ा..सब उसकी पढ़ाई-लिखाई पर खर्च कर दिया। अब वो बेटे के लिए बहू ढूंढ रहा था, लेकिन इससे पहले ही जिंदगी में कोरोना ने दस्तक दे दी और सबकुछ बिखर गया। यह कहानी 27 साल के डॉ. जोगिंदर की है। वे नई दिल्ली के डॉक्टर बाबा साहेब अंबेडकर हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे थे। 23 जून को उन्हें बुखार आया। मालूम चला कोरोना है। फिर 27 जुलाई को उनकी मौत हो गई। पिता को बेटे की मौत को गहरा सदमा बैठा है।

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कर्ज लेकर बेटे को डॉक्टर बनाने चीन भेजा था..
जोगिंदर के पिता राजेंद्र चौधरी बताते हैं कि उनका शुरू से ही सपना था कि बेटा डॉक्टर बने। इस लिए जब जोगिंदर छठवीं क्लास में था, तब ही उसे बेहतर स्कूल में डाल दिया। इसके बाद सबकुछ बेचकर उसे MBBS कराने चीन भेज दिया। उन्होंने 18 लाख रुपए में अपना घर बेचा था। लेकिन नियति को जैसे कुछ ही मंजूर था। जोगिंदर का सर गंगाराम हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। राजेंद्र चौधरी बताते हैं कि जोगिंदर ने सालभर पहले ही डॉक्टर बाबा साहेब अंबेडकर हॉस्पिटल में अपनी पहली जॉब शुरू की थी। राजेंद्र ने बताया कि वे जोगिंदर के लिए लड़की ढूंढ रहे थे। लखनऊ से लड़की वाले 26 जुलाई को आने वाले थे, लेकिन जोगिंदर की तबीयत खराब होने से मामला टल गया। राजेंद्र चौधरी बताते हैं कि वे मूलत: मप्र के नीमच जिले के झांतला गांव के रहने वाले हैं। उनका परिवार खेती-किसानी करता है। 


अभी भी सिर पर कर्जा..
बेटे की पढ़ाई के लिए राजेंद्र चौधरी ने 7 लाख रुपए का कर्जा लिया था, जो अब तक चुका नहीं पाए हैं। जोगिंदर के छोट भाई कपिल ने बताया कि वे अपने गांव के पहले डॉक्टर थे। रविवार को जब जोगिंदर का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तो पिता चिता देखकर फूट-फूटकर रोते रहे।

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