CAA विरोधी रैली में शामिल होना पड़ा भारी, पोलैंड के छात्र को मिला भारत छोड़ने का आदेश

यादवपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले पोलैंड के एक छात्र को विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) ने देश छोड़कर जाने को कहा है

Asianet News Hindi | Published : Mar 1, 2020 12:50 PM IST

कोलकाता: यादवपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले पोलैंड के एक छात्र को विदेशी नागरिक क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) ने देश छोड़कर जाने को कहा है। विश्वविद्यालय के सूत्रों ने रविवार को बताया कि पश्चिम बंगाल की राजधानी में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में निकाली गई रैली में छात्र के हिस्सा लेने के बाद यह कदम उठाया गया है।

इस घटना से ठीक पहले विश्व भारतीय विश्वविद्यालय की बांग्लादेशी छात्रा को एफआरआरओ ने इसी तरह का निर्देश जारी किया था जब छात्रा ने परिसर में सीएए विरोधी प्रदर्शन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी थी।

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दो हफ्ते के भीतर देश छोड़कर जाने को कहा

यादवपुर विश्वविद्यालय के एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया कि तुलनात्मक साहित्य के छात्र पोलैंड के कामिल सिएदसिंस्की को एफआरआरओ ने अपने कोलकाता कार्यालय में आने को कहा था और वह 22 फरवरी को गया भी था। सूत्र ने बताया, “सिएदसिंस्की को एफआरआरओ ने एक नोटिस थमा दिया और नोटिस की तारीख से दो हफ्ते के भीतर देश छोड़कर जाने को कहा। छात्र वीजा पर भारत में रह रहे विदेशी नागरिक के कथित आचरण को अनुचित बताते हुए यह नोटिस दिया गया।”

बंगाली दैनिक ने उसका साक्षात्कार लिया था

विश्वविद्यालय के सूत्र ने कहा कि कई शिक्षक और वामपंथी छात्रों का मानना है कि सिएदसिंस्की को पिछले साल दिसंबर में शहर के मोलाली इलाके में सीएए विरोधी रैली में शामिल होने की कीमत चुकानी पड़ रही है जहां एक बंगाली दैनिक ने उसका साक्षात्कार लिया था और अगले दिन पर उस पर एक छोटी सी खबर छपी थी। सूत्र ने कहा, “कुछ लोगों ने संभवत: एफआरआरओ की रिपोर्ट की प्रति आगे भेजी है। सिएदसिंस्की का किसी राजनीतिक विचारधारा के प्रति झुकाव नहीं है लेकिन प्रदर्शन रैली में उसका उत्साह और तस्वीरें खींची जाने के कारण उसके लिए मुसीबत खड़ी हो गई है।”

सिएदसिंस्की को इस साल तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा देनी थी। उससे संपर्क नहीं हो पाया। विश्वविद्यालय के कुलपति सुरंजन दास और रजिस्ट्रार स्नेहामंजु बसु ने भी फोन नहीं उठाया।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)
 

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