उत्तराखंड कांग्रेस की सीन‍ियर नेता इंदिरा हृदयेश का निधन, दिल्ली में ली आखिरी सांस

डॉ. इंदिरा हृदयेश दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बैठक में भाग लेने के लिए शनिवार को पहुंची थीं। जिसमें राज्य के कई बड़े नेताओं ने भाग लिया था। इस दौरान वह उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर 303 में ठहरी थीं, लेकिन कमरे में ही अचानक उनकी हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।

देहरादून. उत्तराखंड से दुखद खबर सामने आई है, प्रदेश कांग्रेस की दिग्गज राजनेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का बुधवार सुबह निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के उत्तराखंड भवन में अंतिम सांस ली। वह 80 साल की थीं, लेकिन अचानक आए हार्ट अटैक से दुनिया को अलविदा कह गईं।

कांग्रेस की बैठक में भाग लेने गईं थीं दिल्ली
दरअसल, डॉ. इंदिरा हृदयेश दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बैठक में भाग लेने के लिए शनिवार को पहुंची थीं। जहां प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल हुई थीं। जिसमें राज्य के कई बड़े नेताओं ने भाग लिया था। इस दौरान वह उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर 303 में ठहरी थीं, लेकिन कमरे में ही अचानक उनकी हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।

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कांग्रेस में दौड़ी शोक की लहर
इंदिरा हृदयेश के निधन की खबर से राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत  कांग्रेस के कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि अभी-अभी कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री डॉक्टर जी के निधन का दुःखद समाचार मिलकर मन अत्यंत दुखी है। 

विपक्षी नेता भी करते थे उनका सम्मान
इंदिरा हृदयेश उत्तराखंड की कांग्रेस पार्टी का प्रमुख चेहरा रहीं, वह राज्य में विपक्ष की कद्दावर नेता थीं। उनके अंदाज और राजनीतिक परिपक्वता की वजह से  प्रदेश से लेकर दिल्ली तक में विपक्षी नेता भी उनका सम्मान करते थे। वह राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी के रणनीतिक अभियान का वह प्रमुख हिस्सा थीं। 

ऐसा रहा है इंदिरा हरदेश का राजनीतिक सफर 
इंदिरा हरदेश के राजनीतिक सफर की शुरूआत साल 1974 में हुई थी। जब वह पहली बार उत्तर प्रदेश के विधान परिषद में पहली बार चुनी गईं। इसके बाद 1986, 1992 और 1998 में लगातार चार बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य बनीं। साल 2002 में उत्तराखंड में विधानसभा का चुनाव जीतीं और नेता प्रतिपक्ष बन विधानसभा पहुंचीं। 2012 में एक बार फिर वह विधानसभा चुनाव जीतीं और विजय बहुगुणा तथा हरीश रावत सरकार में वित्त मंत्री के रुप में जिम्मेदारी संभाली। 2017 के विधानसभा चुनाव में इंदिरा ह्रदयेश एक बार फिर हल्द्वानी से जीतकर पहुंचीं और अभी नेता प्रतिपक्ष थीं।
 

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