बच्ची से दुष्कर्म करने पर मिली मौत की सजा, पीड़िता की मां ने कहा 'ऐसे जानवरों' को मिलेगा सबक

जिले की विशेष अदालत ने शुक्रवार को सात वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के नौ माह पुराने मामले के 34 वर्षीय दोषी को मौत की सजा सुनाई
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 28, 2019 10:11 AM IST / Updated: Dec 28 2019, 03:45 PM IST

कोयंबटूर: जिले की विशेष अदालत ने शुक्रवार को सात वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के नौ माह पुराने मामले के 34 वर्षीय दोषी को मौत की सजा सुनाई। पीड़िता की मां ने फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि इस फैसले से भविष्य में  ऐसे 'जानवरों' को सबक मिलेगा।

यौन अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के लिए विशेष अदालत की न्यायाधीश आर राधिका ने संतोष कुमार को आईपीसी की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार संतोष कुमार ने पन्नीरमाई में 25 मार्च को अपनी दादी की पड़ोसी की बेटी की कथित रूप से बलात्कार के बाद हत्या कर उसका शव कचरे के डिब्बे में फेंक दिया था।

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32 गवाहों के लिये गए थे बयान

बच्ची का शव मिलने के बाद 31 मार्च को संतोष कुमार को गिरफ्तार किया गया था। बच्ची के हाथ-पांव बंधे पाए गए थे और उसके शरीर पर चोट के निशान थे। इस घटना से स्थानीय लोगों में तनाव बढ़ गया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद मेडिकल जांच के लिए जब उसे सरकारी अस्पताल लाया गया तो लोगों ने उसकी पिटाई कर दी।

पहले इस मामले की सुनवाई महिला अदालत में की जा रही थी जिसे बाद में पॉक्सो अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। मामले में 32 गवाहों के बयान लिये गए थे। न्यायाधीश राधिका ने दोषी को हत्या के लिए मौत की सजा, बलात्कार के लिए आजीवन कारावास और आईपीसी और पॉक्सो की विभिन्न धाराओं के तहत सबूत नष्ट करने के लिए सात साल के कारावास की सजा सुनाई।

पुलिस को मामले की आगे जांच का आदेश 

लड़की की मां द्वारा अपराध में संलिप्त एक अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी की मांग वाली याचिका पर संज्ञान लेते हुए न्यायाधीश ने पुलिस को मामले की आगे की जांच करने का आदेश दिया है। फैसले का स्वागत करते हुए लड़की की मां ने न्यायाधीश को बलात्कारी को मौत की सजा देने के लिए धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि भविष्य में यह फैसला एक सबक के रूप में काम करेगा।

उन्होंने कहा कि बच्चों के खिलाफ इस तरह के जघन्य अपराध नहीं दोहराए जाने चाहिए और इस फैसले से 'ऐसे जानवरों' को सबक मिलेगा।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(प्रतीकात्मक फोटो)

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