यह हैं हिमाचल प्रदेश के मंडी के एक गांव की रहने वालीं अंजना ठाकुर। इनका सिलेक्शन CSIR की जूनियर रिसर्च फैलोशिप के लिए हुआ है। आइए जानते हैं इस साहसी लड़की की कहानी...
शिमला, हिमाचल प्रदेश. यह हैं मंडी जिले की तहसील पांगणा के एक छोटे से गांव गोडन की रहने वालीं अंजना ठाकुर। करंट लगने पर इनका बायां हाथ काटना पड़ा था। अंजना को लगा कि अब शायद जिंदगी कभी ठीक से नहीं जी पाएगी। पढ़ना-लिखना तो दूर की बात। लेकिन निराशा के बीच उन्हें महसूस हुआ कि जिनके दोनों हाथ नहीं होते...वे भी तो अपनी जिंदगी जीते हैं। बस फिर क्या था, अंजना ने उल्टे हाथ से लिखना शुरू कर दिया। अब अंजना ने पहले ही प्रयास में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की परीक्षा पास कर जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) हासिल की है।
लगातार झंडे गाड़ रहीं अंजना..
वनस्पति शास्त्र से एमएससी कर रहीं अंजना असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए राज्य पात्रता परीक्षा (सेट) भी पास कर चुकी हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) के सदस्य एवं विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रो. अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि अंजना ने दसवीं से बीएससी तक 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। अंजना हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विद्योत्तमा गर्ल्स हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही हैं।
हाथ कटने को माना चुनौती..
अंजना के साथ हादसा तब हुआ था, जब वे करसोग कॉलेज में बीएससी चतुर्थ सेमेस्टर में पढ़ रही थीं। हादसे के बाद करीब एक साल तक उन्हें बिस्तर पर रहना पड़ा। इस दौरान अंजना को लगा कि शायद अब वे आगे कुछ नहीं कर पाएंगी। लेकिन फिर खुद का हौसला बढ़ाया और इसे एक चुनौती माना। अंजना की मां चिंतादेवी बताती हैं कि उनकी बेटी पहले निराश थी, लेकिन फिर एकदम हौसला दिखाने लगी। पिता हंसराज और बड़े भाई गंगेश कुमार अंजना का जज्बा देखकर गर्व महसूस करते हैं। अंजना कहती हैं कि जिनके दोनों हाथ-पैर या दूसरे अंग काम नहीं करते, वे भी बहुत कुछ कर दिखाते हैं। फिर उसका तो एक ही हाथ काटा गया था। अंजना की कामयाबी पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल, कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार और वनस्पति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. देसराज ठाकुर ने खुशी जताते हुए बधाई दी।