जब तक जिंदा हूं, बंगाल में संशोधित नागरिकता कानून नहीं होगा लागू: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि जब तक वह जिंदा हैं, तब तक बंगाल में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू नहीं होगा और न ही यहां कोई निरोध केंद्र होगा

नैहाटी (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि जब तक वह जिंदा हैं, तब तक बंगाल में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू नहीं होगा और न ही यहां कोई निरोध केंद्र होगा। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी में एक कार्यक्रम में कहा कि कोई भी देशवासियों से नागरिकता जैसे उनके अधिकार नहीं छीन सकता।

ममता ने विवादित सीएए के खिलाफ देशभर में चल रहे छात्रों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि यह कैसे हो सकता है कि वे 18 साल की उम्र में सरकार चुनने के लिए मतदान तो करें, लेकिन उन्हें विरोध करने का अधिकार न दिया जाए। 

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बंगाल में कोई निरोध केन्द्र नहीं बनेगा

उन्होंने कहा, "छात्र काले कानून का विरोध क्यों नहीं कर सकते? केन्द्र सरकार प्रदर्शकारी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है और उन्हें विश्वविद्यालयों से निष्कासित कर रही है।" सीएए के खिलाफ कोलकाता में 11 दिन में पांच रैलियां करने वाली बनर्जी ने कहा, "जब तक मैं जीवित हूं तब तक बंगाल में सीएए लागू नहीं होगा। कोई भी देश या राज्य छोड़कर नहीं जाएगा। बंगाल में कोई निरोध केन्द्र नहीं बनेगा।"

नागरिकता साबित करने की क्या जरूरत

प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिकता पंजी पर निशाना साधते हुए उन्होंने पूछा कि लोगों को एक बार फिर अपनी नागरिकता साबित करने की जरूरत क्यों है? उन्होंने कहा, ''नागरिकता का मतलब मतदाता सूची में आपका नाम होना, नागरिकता का मतलब ड्राइविंग लाइसेंस और बैंक जैसे दूसरे कागजातों का होना है। तब फिर लोगों को एक बार फिर अपनी नागरिकता का साक्ष्य देने की जरूरत क्यों होगी?''

भाजपा के इरादे की नहीं थी भनक

राष्ट्रीय नागरिकता पंजी पर रोक लगाने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले के संदर्भ में बनर्जी ने कहा, ''शुरू में हमें उनके (भाजपा के) इरादे की भनक नहीं थी। हमें लेकिन जब यह पता चला कि यह प्रामाणिक नागरिकों को छांटने से जुड़ा है, तो हमने बंगाल में इस कवायद को रोक दिया। हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिससे लोगों के लिए खतरा हो।''

अपना हमलावर तेवर बरकरार रखते हुए उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि नागरिक के तौर पर मतदान करने वाले लोगों को नए सिरे से अपनी नागरिकता का सबूत देना होगा। ममता ने कहा, ''आप (केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार) फिर उनसे कतार में खड़े होने को कहेंगे। अपनी खुद की (भाजपा की) नागरिकता साबित करने के बारे में क्या कहेंगे?''

राज्य केंद्र के मुताबिक नहीं करेगा काम 

आधार कार्ड का विरोध करने वाली बनर्जी ने कहा, ''दो साल पहले उन्होंने (केंद्र ने) कहा था कि फोन कनेक्शन लेने और बैंक खाता खुलवाने में कार्ड जरूरी होगा और इस कवायद में 6000 करोड़ रुपये खर्च किए गए।'' मुख्यमंत्री ने कहा, ''अब अचानक वे आए और कह रहे हैं कि आधार कार्ड जैसी चीजों से काम नहीं चलेगा। क्या उनको लगता है कि लोग उनके फरमान को मानेंगे, क्या उनको लगता है कि लोग बार-बार उनकी सनक के आगे झुक जाएंगे?''

पश्चिम बंगाल में किसी भी निरोध केंद्र की इजाजत नहीं दिए जाने का जिक्र करते हुए ममता ने कहा, ''आपका (केंद्र का) फरमान दिल्ली में चलता है। ये मत सोचिए कि राज्य आपके कहे मुताबिक काम करेंगे।''

भाजपा ने आरोपों को किया खारिज

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने बनर्जी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ''सीएए एक केंद्रीय कानून है जिसे देशभर में लागू किया जाएगा। यदि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में इसे लागू होने से रोक सकती हैं, तो उन्हें ऐसा करने दीजिए। वह नहीं चाहतीं कि हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता मिले, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे।''

उन्होंने मुख्यमंत्री के इन आरोपों को भी पूरी तरह 'निराधार' बताया कि भाजपा कार्यकर्ता नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज हासिल करने में मदद करने के लिए लोगों से धन ले रहे हैं।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)
 

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