
भुवनेश्वर, उड़ीसा. हर काम में रिटायरमेंट होता है या लोग ले लेते हैं, लेकिन राजनीति में कभी कोई विश्राम लेना नहीं चाहता। मध्य प्रदेश में स्वर्गीय बाबूलाल गौर इसके उदाहरण थे, जो उम्रदराज होने पर भी राजनीति से रिटायर नहीं हुए। गौर से ही मिलते-जुलते हैं 90 साल के बेनुधर। ये बालेश्वर सदर विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ये अपनी बस्तियों की समस्याओं का दूर करने चुनाव में खड़े हुए हैं। बेशक इनके साथ जनसंपर्क में कोई नहीं होता, लेकिन इनको इससे फर्क नहीं पड़ता।
अकेले ही साइकिल पर निकल पड़ते हैं जनसंपर्क करने
बेनुधर की कमर झुक चुकी है। इसके बावजूद वे अपनी टूटी और पुरानी साइकिल उठाकर जनसंपर्क पर निकल पड़ते हैं। वे कहते हैं कि वे आमलोगों की समस्याओं के समाधान के लिए इलेक्शन जीतना चाहते हैं। बेनुधर को पैसों या अन्य किसी चीज का कोई लालच नहीं है। पेशे से नाई बेनुधर कहते हैं कि उन्हें जिंदगी में कुछ नहीं चाहिए। वे सिर्फ आमजनों की समस्याएं उठाने विधायक बनना चाहते हैं। बेनुधर के पास जमा-पूंजी के नाम पर साइकिल के अलावा और कुछ सामान नहीं है।
चुनाव चिह्न चाय की केटली
बेनुधर को चुनाव चिह्न चाय की केटली मिला है। वे कहते हैं कि गांव के लोगों को जमीन का पट्टा नहीं मिल पा रहा है। बस्तियों की हालत नरक से बदतर है। न रास्ते हैं और न पानी का इंतजाम। इन्हीं सबके लिए वे चुनाव जीतना चाहते हैं। बच्चे उन्हें अजा कहकर पुकारते हैं। कोई मौसा, तो कोई भाई। वे बिना किसी बैनर या पर्चे के प्रचार-प्रसार पर निकल जाते हैं। बेनुधर को कई लोगों ने नई साइकिल दिलवाने की बात कही, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।