पहली मीटिंग के बाद तय किया गया था कि पार्टी एक परिवार एक टिकट के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ेगी। यही निर्णय पंजाब के लिए भी लिया गया था। इसके अलावा, उत्तराखंड की 70 सीटों में 45 पर प्रत्याशियों के नाम लगभग तय होना बताया गया था।
देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में कांग्रेस ने अपनी रणनीति को जमीन पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग होगी। ये एक हफ्ते में कमेटी की दूसरी मीटिंग है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष और पूर्व सीएम हरीश रावत मौजूद रहेंगे। पहली मीटिंग के बाद तय किया गया था कि पार्टी एक परिवार एक टिकट के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ेगी। यही निर्णय पंजाब के लिए भी लिया गया था। इसके अलावा, उत्तराखंड की 70 सीटों में 45 पर प्रत्याशियों के नाम लगभग तय होना बताया गया था। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की जा सकती है।
20 सीटों पर फंसा पेंच...
सूत्रों के मुताबिक, राज्य में करीब 20 सीटें ऐसी हैं, जिन पर पार्टी उम्मीदवारों के नाम तय करने को लेकर असमंजस में है। ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों को चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडेय ने हाल ही में कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में कई बैठकें की और समिति के सदस्यों ने भी पार्टी टिकट के करीब 1 हजार दावेदारों से मुलाकात की। इसके बाद दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी की पहली बैठक में चर्चा की गई।
5 हजार से कम वोटों से हारने वालों को मिल सकता टिकट
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा, ‘तीन जनवरी को हमारी स्क्रीनिंग कमेटी की एक और बैठक है और उसके बाद 9 जनवरी को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी।’ लगभग 45 निर्वाचन क्षेत्रों पर नामों को अंतिम रूप दिया गया है और लगभग 24 सीटें हैं, जहां पार्टी विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रही है। सूत्रों ने बताया कि मौजूदा विधायकों, पूर्व विधायकों और पिछले चुनाव में 5 हजार से कम मतों के अंतर से हारने वाले उम्मीदवारों का टिकट पक्का माना जा रहा है।
हरीश रावत के टिकट पर स्थिति साफ नहीं
हरीश रावत कहां से चुनाव लड़ेंगे, ये पार्टी ने अभी तक साफ नहीं किया है। बता दें कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत दो सीटों से चुनाव लड़े थे और दोनों ही सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार वे खुद के लिए और अपने बेटे या बेटी के लिए भी टिकट मांग रहे थे। रावत के अलावा अन्य कई नेता भी परिवार के सदस्यों के लिए भी टिकट मांग रहे थे।
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