हिम्मत वतन की इनसे है: बूढ़ा शरीर और कमजोर आंखों के बावजूद अम्मा रोज सिलती हैं 100 मास्क

Published : Apr 22, 2020, 12:06 PM ISTUpdated : Apr 22, 2020, 12:33 PM IST
हिम्मत वतन की इनसे है: बूढ़ा शरीर और कमजोर आंखों के बावजूद अम्मा रोज सिलती हैं 100 मास्क

सार

लोगों की मदद के लिए जोश और जज्जा उम्र से नहीं, सोच से आता है। इस समय देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। ऐसे में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं। लेकिन 98 साल की ये अम्मा एक मिसाल हैं। ये खुद मास्क सिलकर लोगों को फ्री में बांट रही हैं। वे कहती हैं कि जिनके पास पैसे नहीं है, वे कहां से मास्क खरीदेंगे? इसलिए वे सिर्फ अपने इंसान होने का फर्ज निभा रही हैं।

मोगा, पंजाब. जब कोई संकट आता है, तब पता चलता है कि कौन किसके काम आ रहा है। इस समय देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। ऐसे में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं। लेकिन 98 साल की ये अम्मा एक मिसाल हैं। ये खुद मास्क सिलकर लोगों को फ्री में बांट रही हैं। कहते है कि लोगों की मदद के लिए जोश और जज्जा उम्र से नहीं, सोच से आता है। अम्मा कहती हैं कि जिनके पास पैसे नहीं है, वे कहां से मास्क खरीदेंगे? इसलिए वे सिर्फ अपने इंसान होने का फर्ज निभा रही हैं।

100 साल पहले सिंगापुर से आई थी यह मशीन...
यह हैं मोगा के अकालसर रोड पर रहने वालीं गुरदेव कौर। इनका शरीर बूढ़ा हो चुका है और आंखें कमजोर, लेकिन जोश और जज्बा अभी भी जवान है। पंजाब में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में जब अम्मा किसी को बगैर मास्क पहने अपने घर के आगे से गुजरते देखतीं, तो वे उससे पूछतीं कि मास्क क्यों नहीं पहना? इनमें से ज्यादातर कहते कि उनके पास पैसा नहीं है कि वो मास्क खरीद सकें। यह बात अम्माजी को अंदर तक भेद गई। बस फिर क्या था, उन्होंने अपनी 100 साल पुरानी सिलाई मशीन उठाई और खुद मास्क सिलने बैठ गईं। यह मशीन उनके ससुरालवाले सिंगापुर से लाए थे।

1500 से ज्यादा मास्क बनाकर बांटे...
अम्माजी जिस मोहल्ले यानी अकालसर रोड पर चार खंभावाली गली में रहती हैं, वो ऑरेंज जोन में है। अम्माजी पिछले 15 दिनों में खुद 1500 मास्क बनाकर लोगों को बांट चुकी हैं। इसमें उनकी मदद परिवारवाले भी कर रहे हैं।

पूजा-पाठ के बाद मास्क बनाने बैठ जाती हैं

गुरदेव कौर सुबह रोज जल्द उठती हैं। इसके बाद वे पूजा-पाठ करके सिलाई मशीन पर मास्क बनाने बैठ जाती हैं। उनकी बहू अमरजीत कौर ने कहा कि उनकी सास को अब ठीक से दिखाई नहीं देता, इसलिए हम लोग मदद कर देते हैं, लेकिन उनका जोश देखते ही बनता है। यह बुजुर्ग 8 घंटे सिलाई मशीन पर काम करती है। गुरदेव कौर ने अपनी गली से गुजरने वाले सब्जी और फल विक्रेताओं को सबसे पहले मास्क बांटे।

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