भारत लाया जाए दलीप सिंह का अवशेष, राज्यसभा में उठी मांग

कांग्रेस के एक सदस्य ने सिख साम्राज्य के अंतिम शासक दलीप सिंह के अवशेष ब्रिटेन से भारत लाने की मांग करते हुए कहा कि 'इतिहास को सुधारा जाना चाहिए कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए उच्च सदन में कहा कि यह पूरे पंजाब से जुड़ा हुआ है

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2019 10:49 AM IST

नयी दिल्ली: राज्यसभा में मंगलवार को कांग्रेस के एक सदस्य ने सिख साम्राज्य के अंतिम शासक दलीप सिंह के अवशेष ब्रिटेन से भारत लाने की मांग करते हुए कहा कि 'इतिहास को सुधारा जाना चाहिए।' कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए उच्च सदन में कहा कि यह पूरे पंजाब से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि शक्तिशाली महाराजा रणजीत सिंह के पुत्र दलीप सिंह का जन्म लाहौर में 1838 में हुआ। एक साल बाद ही रणजीत सिंह का देहांत हो गया। पांच साल की उम्र में दलीप सिंह को सिख साम्राज्य का शासक घोषित किया गया।

धर्मांतरण कर उन्हें ईसाई बना दिया गया

बाजवा ने कहा कि 1849 में हुए दूसरे एंग्लो-सिख युद्ध के बाद अंग्रेजों ने पंजाब को ब्रिटिश नियंत्रण वाले भारत से संबद्ध कर लिया। उन दिनों पंजाब का विस्तार उस हिस्से तक था जो आज अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान कहलाता है। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि दलीप सिंह को अपदस्थ कर उनकी मां महारानी जींद कौर से अलग कर ब्रिटेन भेज दिया गया। जींद कौर को कैद कर लिया गया। ब्रिटेन में दलीप सिंह का 16 साल की उम्र में धर्मांतरण कर उन्हें ईसाई बना दिया गया और उन्हें महारानी विक्टोरिया के संरक्षण में रखा गया।

पुन: धर्मांतरण कर सिख धर्म अपनाया

बाजवा ने बताया कि 13 साल बाद जब दलीप सिंह अपनी मां जींद कौर से मिले तो उन्हें सिखों के इतिहास और उनकी पहचान के बारे में पता चला। तब दलीप सिंह ने पुन: धर्मांतरण कर सिख धर्म अपनाने और ब्रिटिश पेंशन त्यागने का फैसला किया। 1886 में वह अपने परिवार के साथ भारत आने वाले थे लेकिन विद्रोह की आशंका के चलते अंग्रेजों ने उन्हें हिरासत में ले कर नजरबंद कर दिया। 1893 में उनका निधन हो गया और उन्हें एल्वेडन गांव में दफना दिया गया।

बाजवा ने मांग की कि दलीप सिंह के अवशेषों को अमृतसर लाया जाए और सिख परंपरा के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार किया जाए।

विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

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