मां आखिर मां होती है, भले वो किसी हाथी के बच्चे की ही क्यों न हो

बच्चा किसी इंसान का हो या जानवर का, उसके लिए मां से बढ़कर कोई नहीं होता। मां से बिछुड़े बच्चे की हालत क्या होती है, शायद ही कोई समझ पाए। शायद एक मासूम हथिनी भी यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी। 

देहरादून. यह कहानी करीब 4 साल की हथिनी की मौत से जुड़ी है। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के चिल्ला रेंज में रहने वाली इस मासूम हथिनी को जूही नाम दिया गया था। शनिवार शाम को जूही इस दुनिया में नहीं रही। जूही शाम को जब वो जंगल से घास खाकर अपने बाड़े लौटी, तो अचानक गिर पड़ी। कर्मचारियों ने फौरन उसका इलाज कराया। उसने थोड़ा उठकर पानी पीया, लेकिन फिर धीरे-धीरे अपनी आंखें बंद कर लीं। हालांकि अभी उसकी मौत के कारण का पता नहीं चला है, लेकिन माना जा रहा है कि वो अपनी मां से बिछुड़ने के बाद सुस्त रहने लगी थी।

2017 में हुई थी घटना
वन्य जीव गार्जियन अजय शर्मा बताते हैं कि जूही 2017 में जंगल में अकेली मिली थी। वो अपने परिवार से बिछुड़ गई थी। तब से चिल्ला रेंज में उसकी देखभाल की जा रही थी। जूही की मौत से पार्क के कर्मचारी और अधिकारी बेहद दु:खी हैं। दरअसल, जानवरों से उनका बेहद लगाव है। बहरहाल, जूही का पोस्टमार्टम करके उसे दफना दिया गया।

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अब जानें राजाजी नेशनल पार्क के बारे में
यह पार्क देहरादून से 23 किमी की दूरी पर है। इसका नाम स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के नाम पर राजाजी राष्ट्रीय उद्यान रखा गया।  यह उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है। 1983 से पहले इस क्षेत्र में फैले जंगलों में तीन अभयारण्य थे-राजाजी,मोतीचूर और चिल्ला। हालांकि बाद में तीनों को मिला दिया गया। करीब  830 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला नेशनल पार्क हाथियों की संख्या के लिए ही जाना जाता है। वैसे यहां हिरण-चीते, सांभर और मोरों के अलावा पक्षियों की 315 प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां एक पेड़ ऐसा भी है, जिसके ऊपर 20 पेड़ उग चुके हैं। 

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