ये कैसा किसान दिवस: रोटी के लिए लड़ रहा अन्नदाता मर गया, मां बेटों को चुप कराती तो कभी खुद रोने लगती

Published : Dec 23, 2020, 01:44 PM ISTUpdated : Dec 23, 2020, 03:09 PM IST
ये कैसा किसान दिवस: रोटी के लिए लड़ रहा अन्नदाता मर गया, मां बेटों को चुप कराती तो कभी खुद रोने लगती

सार

 यह मार्मिक कहानी लुधियाना जिले के जांगपुर गांव के रहने वाले 32 साल के युवा किसान हरमिंदर सिंह की है। दिल्ली की सिंधु बॉडर्र पर ही रहता था। रोज किसानों के लिए जरुरत का सामान लेने आया जाया करता था। लेकिन छोड़कर इस दुनिया से चला गया।

लुधियाना (पंजाब). देश के इतिहास में इस बार 'किसान दिवस' ऐसे समय आया है, जब भारत का अन्नदाता कृषक उत्सव मनाने की जगह सड़कों पर अपनी रोटी को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। पिछले 32 दिनों से कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर किसान कड़ाके की ठंड में दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं।  लेकिन कोई हल की संभावना नहीं दिख रही है। वहीं आंदलोन में शामिल होने वाले कई किसानों की मौत हो चुकी है। इसी बीच आंदोलन से लौटते समय पंजाब के एक किसान की सड़क हादसे में मौत हो गई।  जिन छोटे-छोटे बच्चों के भविष्य के लिए वह हक की लड़ाई लड़ रहा था अब वह अनाथ हो गए। मां अपने मासूम लाडलों के सिर पर हाथ रख दिलासा दे रही है।

फूट गया सिर..बहने लगा खून
दरअसल, यह मार्मिक कहानी लुधियाना जिले के जांगपुर गांव के रहने वाले 32 साल के युवा किसान हरमिंदर सिंह की है। जो इस समय अब दुनिया में नहीं रहा। वह मंगलवार रात को दिल्ली से अपने घर के लिए दोस्त के साथ बाइक से लौट रहा था। इसी दौरान सड़क पर एक सांड ने टक्कर मारी और बाइक गिर गई। इसके बाद सांड ने हरमिंदर को उठाकर पटक दिया। जिससे उसके सिर पीछे से फटने से खून निकलता रहा। वह एक्सीडेंट के बाद काफी देर तक रोड पर तड़पता रहा, लेकिन रास्ते में एंबुलेंस खराब हो गई, जिससे उसकी जान नहीं बच पाई। 

'बिलख रहा परिवार, ये सरकार कितने किसानों को और मारेगी'
गांव के लोग कह रहे हैं कि युवा किसान हरमिंदर सिंह दिल्ली की सिंधु बॉडर्र पर ही रहता था। रोज किसानों के लिए जरुरत का सामान लेने आया जाया करता था। सप्ताह में एक दिन अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने के लिए आता था। लेकिन इस बार वह आ भी नहीं पाया और रास्ते में छोड़कर इस दुनिया से चला गया। वहीं उसके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, वह कह रहे हैं कि यह आंदोलन नहीं होता तो हमारा हरमिंदर आज जिंदा होता। केंद्र सरकार के इन नए कानून ने उसकी जान ले ली। पता नहीं और कितने किसानों की जान लेगा।

मासूम बच्चों का चेहर देख रोने लगती पत्नी
वहीं किसान हरमिंदर के दो छोटे-छोटो बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। वह पापा-पापा कहते हुए चीख रहे हैं। दादी और मां मासूमों के सिर पर हाथ रख समझा रही हैं। लेकिन जब वह रोते तो उनके चेहरा देख वह भी रोने लगते। इसी बीच रोते-रोते पत्नी पत्नी हरदीप कौर की हालत बिगड़ गई और डॉक्टर बुलाना पड़ा। किसी तरह गांव के लोग परिवार को संभाल रहे हैं। 
 

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