पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे करीबी, वफादार और खांटी नेता साथ छोड़ते जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि दिग्गज नेता भाजपा (BJP) को पसंद कर रहे हैं और खुलकर संगठन के कामकाज पर नाराजगी जता रहे हैं।
चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे करीबी, वफादार और खांटी नेता साथ छोड़ते जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि दिग्गज नेता भाजपा (BJP) को पसंद कर रहे हैं और खुलकर संगठन के कामकाज पर नाराजगी जता रहे हैं। हाल ही में 8 दिन के अंदर 3 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी और ये तीनों नेता कांग्रेस (Congress) के लिए बड़ा झटका माने जा रहे हैं। ये भी खास बात है कि तीनों कांग्रेसी विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह (Caption Amrindar Singh) के करीबी माने जाते थे और सत्ता उलटफेर के बाद साइडलाइन चल रहे थे। इन तीनों विधायकों ने अब कैप्टन की सहयोगी पार्टी भाजपा में विश्वास जताया है और चुनावी मैदान में दमखम के साथ उतरने का ऐलान किया है। भाजपा के लिए ये बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
दरअसल, पंजाब में कांग्रेस के तीन मौजूदा विधायक राणा गुरमीत सोढ़ी (Rana Gurmeet Sodhi), फतेह जंग बाजवा (Fateh Jung Bajwa) और बलविंदर सिंह लड्डी (Balwinder Singh Laddi) ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन की है। सबसे पहले 21 दिसंबर को राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने भाजपा जॉइन की थी। उसके बाद 28 दिसंबर को फतेह जंग बाजवा और बलविंदर सिंह लाडी ने भाजपा जॉइन की। राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी गुरु हर सहाय इलाके से कांग्रेस से विधायक चुने गए थे और कैप्टन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। सोढ़ी को कैप्टन अमरिंदर का वफादारी माना जाता है और उनके कैबिनेट में खेल मंत्री थे। कैप्टन के इस्तीफा देने के बाद उन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया था। सोढ़ी ने कैप्टन गुट में होने के बाद भी उनकी पार्टी PLC में शामिल होने पर विचार नहीं किया। इसी तरह बलविंदर सिंह लड्डी श्री हरगोबिंदपुर से कांग्रेस विधायक हैं और फतेह जंग बाजवा कांग्रेस से कादियां इलाके से विधायक हैं।
PLC का BJP में विलय की चर्चा, पार्टी ने अटकलें खारिज की
अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन तीनों विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) में शामिल होने की जगह भाजपा को ही क्यों चुना? दो दिन से कयास लगाए जा रहे हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भविष्य में अपनी पार्टी PLC का BJP में विलय कर सकते हैं। उनके करीबी नेताओं का BJP में शामिल होना कैप्टन की भविष्य की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। हालांकि पंजाब लोक कांग्रेस के प्रवक्ता प्रिंस खुल्लर ने इन अटकलों को सिरे से खारिज किया है।
ये भी हो सकता है कारण
खुल्लर ने दावा किया कि तीनों विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह की सलाह लेने के बाद ही बीजेपी में शामिल हुए हैं। इसके अलावा, पंजाब लोक कांग्रेस की तरफ से एक और कारण बताया गया है और वो ये है कि बीजेपी का कुछ पारंपरिक गढ़ है। इन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता बीजेपी में शामिल होंगे तो इससे पार्टी अपने पारंपरिक वोट बैंक को बरकरार रख सकेगी। खुल्लर ने यह भी कहा कि चूंकि राणा गुरमीत सोढ़ी फिरोजपुर शहर से चुनाव लड़ना चाहते थे और फतेह जंग बाजवा भी हिंदू बेल्ट से संबंधित हैं और ये बीजेपी की पारंपरिक सीट हैं, इसलिए वे बीजेपी में शामिल हो गए।
कांग्रेस में गुटबाजी हावी, बाजवा बोले- पंजाब में राजनीति के 4 पावर सेंटर
करीब 35 साल बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए MLA फतेहजंग सिंह बाजवा ने कहा कि पंजाब में सत्ता के 4 पावर सेंटर बन चुके हैं। एक कांग्रेसी को ये पता नहीं चल रहा कि किसके साथ रहना है। एक के साथ जाते हैं तो 3 नाराज हो जाते हैं। 2 के साथ जाते हैं तो बाकी 2 अलग हो जाते हैं। कांग्रेस में गुटबाजी की ये चिंताजनक स्थिति है। बाजवा ने स्पष्ट तौर पर तो नहीं बताया कि ये 4 पावर सेंटर कौन-कौन से हैं लेकिन इशारों में सरकार में सिद्धू और चन्नी (CM) गुट की बात कही। इसके अलावा माझा एक्सप्रेस के नाम से जाने जाते डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा, मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा और सुख सरकारिया का भी संकेत दिया। चौथा पावर सेंटर संभवत: कांग्रेस हाइकमान या पंजाब इंचार्ज हरीश चौधरी का हो सकता है। बाजवा ने इतना जरूर कहा कि उन्होंने गुटबाजी को देखते हुए ही कांग्रेस पार्टी छोड़ी है।
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