
मनोज ठाकुर, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव में समराला सबसे हॉट सीट बन गई है। क्योंकि यहां से किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल चुनाव मैदान में हैं। राजेवाल पंजाब के बड़े किसान नेता हैं और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा भी रहे हैं। अब उन्होंने राजनीतिक पारी शुरू की है। राजेवाल को 22 किसान संगठनों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा ने अपना सीएम चेहरा भी घोषित किया है। हाल ही में इस पार्टी को हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी की पार्टी संयुक्त संघर्ष पार्टी ने भी समर्थन दिया और गठबंधन किया है। ऐसे में राजेवाल का खेमा बड़ा मजबूत और ताकत बनकर उभरा है। खास बात ये है कि पंजाब में पहली बार किसान जत्थेबंदियां विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही हैं। हालांकि, ऐसी चर्चा थी कि राजेवाल को आम आदमी पार्टी भी पंजाब का सीएम फेस बनाना चाहती थी। बलवीर राजेवाल से Asianetnews Hindi ने मोबाइल फोन पर बातचीत की और पंजाब में उनकी चुनावी रणनीति को लेकर सवाल-जवाब किए। पेश हैं विशेष बातचीत के प्रमुख अंश...
सवाल: पहले चुनाव से परहेज, फिर चुनाव में उतरना इसके पीछे क्या सोच है?
जवाब: यह सही है कि हम चुनाव का विरोध करते रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि जब तक खेती-किसानी के मामले विधानसभा और लोकसभा में नहीं उठेंगे, तब तक उनका सही से हल नहीं होगा। किसान के प्रतिनिधि लोकसभा और विधानसभा में होने चाहिए। इसी सोच के चलते यह निर्णय लिया गया है। जहां तक पहले चुनाव ना लड़ने की बात है, यह तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन तक तो ठीक था। क्योंकि तब यह बोला जाता कि किसान नेता तो राजनीति के लिए आंदोलन कर रहे हैं। तीन कृषि कानून वापस हो गए हैं, अब आगे की लड़ाई के लिए चुनाव में उतरे हैं।
सवाल: आप सीएम फेस बने हैं तो आपकी योजना क्या है? क्या एजेंडे हैं?
जवाब: हम समाज के हर तबके को साथ लेकर चलेंगे। यह ठीक है खेती किसानी का मुद्दा बढ़ा रहेगा। सच तो यह हैं कि पंजाब में इमानदारी से काम करने की जरूरत है। जो पारंपरिक सियासी पार्टियां है, वह सत्ता भोगने में लगी हुई है। उन्होंने कभी भी समाज के लिए काम नहीं किया है। हमारा मानना है कि किसान यदि खुशहाल होता है तो पूरा समाज तरक्की करता है। क्योंकि किसान से हर चीज जुड़ी हुई है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम किसान के बारे में ही सोचते रहेंगे, व्यापारी हो या उद्योगपति हम हर किसी के विकास के बारे में योजना बना कर इसे अमल में लाएंगे।
सवाल: आरोप यह है कि यदि किसान अलग से चुनाव लड़ते हैं तो इससे भाजपा और दूसरी पार्टियों को लाभ होगा?
जवाब: पता नहीं, यह आरोप क्यों लगाया जा रहा है। यदि किसी भी दल को किसानों की इतनी चिंता थी तो अभी तक किसानों के लिए किया क्या? यह नौबत ही क्यों आई कि किसानों को खुद राजनीति में आना पड़ा। इस तरह की सोच रखने वालों का किसानों से कोई वास्ता नहीं है, किसान उनके लिए सिर्फ वोट देने वाला भर है। इससे ज्यादा अहमियत किसान की उनकी नजर में नहीं है। अब उन्हें डर लग रहा है कियान यदि अपना नेता भी खुद बन जाएंगे तो उनका क्या होगा? इस डर की वजह से वह इस तरह की बातें बोल रहे हैं।
सवाल: आप जीत जाते हैं तो पहला काम क्या होगा?
जवाब: किसानों को एमएसपी का लाभ पहले दिन से दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए पहले दिन से काम किया जाएगा। हम सत्ता में राज करने के लिए नहीं आ रहे हैं, हमारा उद्देश्य सेवा करना है। हम संघर्ष करने वाले लोग है। बड़ी गाड़ियों में घूमने वाले नहीं हैं।
सवाल: क्या आपको आम आदमी पार्टी अपना सीएम चेहरा बनाना चाह रही थी?
जवाब: नहीं इस पर कुछ नहीं बोलना।
सवाल: राघव चड्ढा कह रहे कि किसान जत्थेबंदिया चुनाव लड़ कर भाजपा को फायदा पहुंचा रही है?
जवाब: इसका जवाब तो वहीं दे सकते हैं। हम तो मेहनती लोग है, संघर्ष कभी फायदा या नुकसान देख कर नहीं होता। इसके पीछे एक भावना होती है। सभी के लिए न्याय की भावना। हम इसी को समने रख कर चुनाव लड़ रहे हैं। बाकी जो जैसा सोच रहा है, यह उसकी अपनी सोच है। इसके किसान और मतदाता जवाब देंगे।
सवाल: एक किसान और नेता में क्या अंतर महसूस कर रहे हो?
जवाब: कुछ नहीं, नेता नहीं किसान ही बोलिए। हम किसान है, किसान रहेंगे। इससे ज्यादा न कभी सोचा। न सोचने की जरूरत है।
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