सार
अब यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि कांग्रेस के खेमे से CM Face कौन? ये सवाल ना सिर्फ मतदाता के बीच उठ रहा है, बल्कि पार्टी के भीतर भी इसे लेकर उठा-पटक चल रही है। सिद्धू कई बार यह मांग कर चुके हैं कि पार्टी को सीएम चेहरा घोषित करना चाहिए।
चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने इस बार चुनावी मैदान में पूरी ताकत और तैयारी के साथ उतरने की रणनीति को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। मंगलवार को पार्टी ने अपना सबसे बड़ा दांव भी चल दिया है और सरदार भगवंत मान को सीएम फेस बनाकर सत्ताधारी कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है। दरअसल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी को लेकर एक बयान देते थे- बिना दूल्हा के बरात कैसी? वह AAP पर निशाना साधते थे कि उनके पास CM का चेहरा नहीं है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने कांग्रेस आलाकमान से चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम चेहरा घोषित करने की मांग की है.
ऐसे में अब यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि कांग्रेस के खेमे से CM Face कौन? ये सवाल ना सिर्फ मतदाता के बीच उठ रहा है, बल्कि पार्टी के भीतर भी इसे लेकर उठा-पटक चल रही है। सिद्धू कई बार यह मांग कर चुके हैं कि पार्टी को सीएम चेहरा घोषित करना चाहिए। लेकिन उनकी इस मांग की तरफ पार्टी आलाकमान की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। पत्रकारिता विभाग के एचओडी आशुतोष ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस कैप्टन को सीएम का चेहरा घोषित नहीं करना चाहती थी। लेकिन कैप्टन के बागी तेवर को देखते हुए उन्हें आगे किया गया। लेकिन तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रम में कैप्टन को सीएम पद से हटा कर कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया। नवजोत सिद्धू को प्रदेशाध्यक्ष।
सिद्धू बार-बार उठा रहे सीएम फेस घोषित करने की मांग
इसके बाद भी सिद्धू हर बार यह मांग उठाते रहे कि सीएम चेहरे की घोषणा होनी चाहिए। आशुतोष ने बताया कि सिद्धू खुद को सीएम का चेहरा बनाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि यह चुनाव उनके नाम पर ही लड़ा जाए। यह भी एक कारण है कि वह न हर मसले पर आक्रमक रहते हैं। लेकिन कांग्रेस के लिए दिक्कत यह है कि यदि सिद्धू को सीएम फेस बनाया जाए तो पंजाब के शेड्यूल वोटर्स पार्टी से दूर हो सकते हैं।
चन्नी को सीएम चेहरा घोषित किया जाए : मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा
इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने मांग की कि पार्टी आलाकमान पंजाब में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी ने बेहतर काम किया है। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा को लेकर पार्टी में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। क्योंकि चन्नी ने मात्र तीन माह में इस पद पर काम करते हुए खुद को साबित किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ही 2012 और 2017 के चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की परंपरा रही है। अब क्योंकि आप ने भगवंत मान को अपना सीएम उम्मीदवार घोषित किया है। शिरोमणि अकाली दल-बादल पहले से ही सुखबीर सिंह बादल को अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित कर दिया है। ऐसी परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी सीएम चेहरे के लिए कोई संशय नहीं छोड़ सकती। यह पार्टी के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। वह भी तब हमारे पास दूसरों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर विकल्प है.
आप ने कांग्रेस की रणनीति को बिगाड़ा
इतना ही नहीं, चन्नी ने सीएम के पद पर रहते हुए काम भी ठीक किया। इसलिए कांग्रेस आलाकमान बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की इस रणनीति को बिगाड़ दिया है। इसके अलावा जिस तरह से सीएम चन्नी के रिश्तेदारों पर अवैध माइनिंग में इडी की रेड ने उनकी उदारवादी और ईमानदार छवि को खासा धक्का लगा है।
सिद्धू के दबाव में है आलाकमान
पंजाब के सियासी मामलों के जानकार लेखक डॉक्टर गुरबचन सिंह ने बताया कि सिद्धू ईडी की रेड और आप के सीएम चेहरा घोषित करने को एक मौके की तरह ले सकते हैं। कैप्टन को सीएम पद से हटाने से लेकर टिकट वितरण में सिद्धू की चली है। पार्टी आलाकमान उनके दबाव में आकर उनकी हर बात मान रहा है। सिद्धू भी इस तथ्य को समझते हैं कि उनकी बात को सुना जा रहा है। इसलिए वह एक बार फिर से इस कोशिश में जुट सकतें है कि यह चुनाव उनके नाम पर लड़ा जाए। क्योंकि उन पर विपक्ष किसी भी तरह का आरोप नहीं लगा सकता। वह अपनी बात मनवाने के लिए अड़ सकते हैं। तो निश्चित ही कांग्रेस के लिए चिंता की बात हो सकती है।
ईडी की रेड के बाद चुप्पी साधे हैं सिद्धू
सिद्धू सीएम के रिश्तेदार के घर ईडी की रेड के बाद चुप हैं। वह हालात को देख रहे हैं, उचित मौके की तलाश में हैं। जिस तरह से विपक्ष सीएम चरणजीत चन्नी पर हमलावर हो रहा है, इसे भी वह मौके के तौर पर ले सकते हैं। इस सब के बीच एक बार फिर से सिद्धू और उसके समर्थक इस कोशिश में जुट सकते हैं कि सीएम का चेहरा घोषित होना चाहिए। जो कम से कम कांग्रेस के लिए इस मौके पर भारी चिंता की बात हो सकती है।