पिता कमाते 200 रुपए बेटी ने किया करोड़ों वाला काम..लोगों ने कहा-किस्मत वालों को मिलती है ऐसी बिटिया

Published : Jul 23, 2020, 02:28 PM IST
पिता कमाते 200 रुपए बेटी ने किया करोड़ों वाला काम..लोगों ने कहा-किस्मत वालों को मिलती है ऐसी बिटिया

सार

बुधवार को जारी हुए पंजाब शिक्षा 12वीं बोर्ड के परिणामों में मजदूर की बेटी जसप्रीत कौर ने 99.5 फीसदी मार्क्‍स हासिल कर परचम लहराया है। जसप्रीत के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह कोचिंग कर सके। इसलिए उसने घर पर ही पढ़ाई करके यह सफलता प्राप्त की है। उसके पिता 200 रुपये ही कमाते हैं।   

लुधियाना. कहते हैं दिल में लगन और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो फिर किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है पंजाब की एक बेटी ने, जिसकी मेहनत की तारीफ आज हर कोई करते हुए नहीं थक रहा है। बुधवार को जारी हुए पंजाब शिक्षा 12वीं बोर्ड के परिणामों में मजदूर की बेटी जसप्रीत कौर ने 99.5 फीसदी मार्क्‍स हासिल कर परचम लहराया है।

बिना कोचिंग के जसप्रीत ने पाई यह सफलता
दरअसल, जसप्रीत के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह कोचिंग कर सके। इसलिए उसने घर पर ही पढ़ाई करके यह सफलता प्राप्त की है। उसके पिता बलदेव सिंह बारबर हैं और दिनभर का करीब 200 रुपये ही कमाते हैं। 

लोगों ने कहा-किस्मतवालों को मिलती है ऐसी बिटिया
बता दें कि जसप्रीत कौर मनसा जिले की रहने वाली है, उसकी इस कमयाबी से उसका पूरा गांव खुश है। कोई उसको बधाई दे रहा है तो कोई उसके माता पिता को कहता है कि आपकी बेटी बहुती होशियार है। ऐसी हुनर वाली बिटाया भगवान को दे। वहीं जसप्रीत के पिता बलदेव सिंह नम आंखों से कहते हैं कि हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारी बेटिया पढ़ने में इतनी अच्छी है।

पढ़ाई के साथ-साथ करेगी परिवार की मदद
जसप्रीत ने पंजाब शिक्षा बोर्ड 12वीं की मेरिट लिस्‍ट में अपनी जगह बनाई है।  450 नंबर में से 448 नंबर हालिस कर राज्‍य के टॉपर्स उसका नाम है। बता दें कि जसप्रीत आगे चलकर एम फिल करने के बाद अंग्रेजी की टीचर बनना चाहती है। साथ ही उसका कहना है कि वह पढ़ाई के साथ-साथ काम करेगी, जिससे परिवार को आर्थिक मदद मिल सके।टट

अपने सवाल खुद करती थी सॉल्व
जसप्रीत ने अपनी सफलता के बारे में बताया कि उसने 5 से 6 घंटे पढ़ाई करके यह मुकाम पाया है। उसका कहना है कि वो अपनी छोटी-छोटी समस्याएं खुद सॉल्व करती थी। अगर कोई बड़ी परेशानी होती थी तो टीचर के पास जाती थी। उसने अपना लक्ष्‍य बनाकर खुद पूरा किया है।

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