न खुदा मिला न विसाल-ए-सनम : सिद्धू चुनाव भी हारे, पोजिशन भी नहीं बची..तो क्या ढलान पर है गुरु का सियासी करियर

जब इस चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त हार मिली तो इसके लिए बहुत हद तक सिद्धू के आक्रामक रवैये को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनसे रिजाइन मांग लिया। अब सवाल यह है कि सिद्धू करेंगे क्या? उनके सामने अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 17, 2022 4:46 AM IST

चंडीगढ़ : पंजाब (Punjab) में बुधवार को दो राजनीतिक घटनाक्रम हुए। पहला आम आदमी पार्टी (AAP) के भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने जोर शोर से पंजाब के 17वें सीएम के तौर पर शपथ ली। दूसरी ओर हमेशा चर्चा में रहने वाले कुछ भी करने से पहले उसका खूब शोर मचाने वाले कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने बहुत ही शांत तरीके से अपने पद से रिजाइन दे दिया। जिसके बाद सियासी गलियारों में इस चर्चा ने जोर पकड़ ली कि क्या इसके इस्तीफे के बाद सिद्धू का राजनीतिक करियर खत्म है? क्या वह अपने सियासी करियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं? 

कभी सिद्धू जो बोलते थे पार्टी भी वही करती थी
सेलिब्रिटी छवि से सक्रिय राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू न केवल विधानसभा चुनाव में हारे बल्कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी गंवा दिया। भाजपा (BJP) में रहते हुए वह कभी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को 'पप्पू' और कांग्रेस को 'मुन्नी से भी ज्यादा बदनाम' बोलते थे। लेकिन बाद में वह न सिर्फ कांग्रेस (Congress) में शामिल हुए। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष तक बन गए। एक वक्त तो पार्टी के भीतर उनकी बात को इतनी तवज्जो मिली कि उन्होंने जो बोला, वही पार्टी ने किया। 

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सीएम बनना चाहते थे सिद्धू..

कांग्रेस सरकार में अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) से सीधे सीधे टकराव लेने वाले सिद्धू ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। कुछ समय तक वह सियासी गतिविधियों से दूर हो गए। इसके बाद उन्हें फिर जोरदार वापसी की। उन्हें पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। सिद्धू ने कैप्टन पर हमला बोलते हुए उन्हें सीएम पद से हटाने पर मजबूर कर दिया। हालांकि वह सीएम बनना चाहते थे। लेकिन चन्नी ने उनका रास्ता रोक दिया। इसके बाद नवजोत सिंह ने पंजाब विधानसभा चुनाव में विवादित बयानबाजी की। वह पंजाब के विकास के लिए एक मॉडल लेकर आए। इसकी खूब मार्केटिंग भी की। 

मजीठिया से पंगा
सिद्धू ने अकाली दल खासतौर पर बिक्रमजीत सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) पर जबरदस्त आरोप लगाए। उन्हें चुनाव लड़ने के लिए चुनौती दी। नतीजा यह निकला कि बिक्रमजीत सिंह मजीठिया अमृतसर ईस्ट से सिद्धू के सामने डट गए। यहां दोनो को पहली बार अपने सियासी करियर में हार का सामना करना पड़ा। इस सीट पर आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार जीवनज्योत कौर ने जीत हासिल की। 

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संकट में सियासी करियर

जब इस चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त हार मिली तो इसके लिए बहुत हद तक सिद्धू के आक्रामक रवैये को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने उनसे रिजाइन मांग लिया। अब सवाल यह है कि सिद्धू करेंगे क्या? उनके सामने अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। अकाली दल से उन्होंने पहले ही मोर्चा खोल रखा है, बीजेपी से वह राज्यसभा सीट छोड़ कर कांग्रेस में आए थे। आम आदमी पार्टी ने उन्हें कई बार बुलाया। लेकिन वह गए नहीं। जब भी समय मिला वह आप पर भी टिप्पणी करते रहे। इस वजह से अब उनके पास दूसरी पार्टी में शामिल होने का विकल्प लगभग न के बराबर है। 

..तो क्या दूसरा रास्ता अपनाएंगे 'गुरु'
जानकार मानते हैं कि अब सिद्धू के पास चुप रह कर समय का इंतजार करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है। दूसरा रास्ता है वह राजनीति से खुद को अलग कर टेलीविजन शो से जुड़ जाए। जानकार यह भी मानते कि सिद्धू की दिक्कत यह है कि वह जल्दी ही अपना धैर्य खो देते हैं। इसलिए कांग्रेस में रह कर वह वक्त सुधरने का शायद ही इंतजार करें। अब देखना यह होगा कि गुरु अब आगे करते क्या है? फिलहाल तो ऐसा लग रहा है कि इस्तीफे के साथ ही उनका राजनीतिक करियर ठहर सा गया है। जिसे गति देने के लिए उन्हें दोबारा से फिर अपनी रणनीति पर सोचना होगा।

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