राज्य में अभी गेहूं की फसल की कटाई चल रही है। इसके बाद धान का सीजन आ जाएगा। इस सीजन में बिजली की मांग 15 हजार मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। अगर समय रहते इसकी पूर्ति नहीं की जाती तो सरकार को किसानों का आक्रोश भी झेलना पड़ सकता है।
चंडीगढ़ : पंजाब (Punjab) में बिजली संकट गहराने लगा है। पिछले साल कांग्रेस की सरकार में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) जिस संकट से उबरने में फेल हो गए थे, अब वही भगवंत मान (Bhagwant Mann) की अगुवाई वाली सरकार के लिए चुनौती बन गई है। आलम यह है कि राज्य के गांवों में अभी से ही सात-सात घंटे बिजली गुल रहने लगी है। जबकि शहरों में दो से तीन घंटे बिजली की सप्लाई नहीं हो रही। इसके पीछे का कारण कोयले की कमी बताया जा रहा है।
दिल्ली पहुंचे बिजली मंत्री
राज्य में इस संकट को देखते हुए बिजली मंत्री हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) दिल्ली पहुंच गए हैं। वहां उन्होंने केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) से मुलाकात की और पंजाब के लिए कोयला की मांगा की है। कहा जा रहा है कि अगर जल्द ही केंद्र की तरफ से कोयले की सप्लाई नहीं होती है तो पिछले साल की तरह इस साल भी ब्लैकआउट की स्थिति बन जाएगी। धान का सीजन आने वाला है, ऐसे में अगर ऐसे हालात बनते हैं तो पहले साल में ही किसानों का गुस्सा सरकार के सामने आ सकता है।
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10 जून तक कोयला सप्लाई की मांग
बिजली मंत्री केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के सामने पंजाब सरकार की मांग रखी है। उन्होंने कहा है कि 10 जून तक हर दिन 20 रैक कोयले की जरुरत है। 50 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त कोयले की भी मांग की है ताकि इसका पर्याप्त स्टॉक भी बना रहे। इसके बाद हरभजन सिंह बिजली मंत्री आरके सिंह से मिलने पहुंचे और जून से अक्टूबर तक नेशनल ग्रिड से रोजाना 1500 मेगावाट बिजली की मांग की है। बता दें कि केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों को आगाह कर दिया है कि वह अपने स्तर पर कोयले की व्यवस्था करें।
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क्यों गहरा रहा बिजली संकट
पंजाब की बात करें तो इस साल भीषण गर्मी का अनुमान है। अप्रैल महीने में ही पिछले साल की तुलना में पांच डिग्री ज्यादा गर्मी पड़ रही है। इसके कारण बिजली की मांग भी बढ़ गई है। चूंकि इलेक्ट्रिक सामान ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए बिजली की खपत भी ज्यादा हो रही है। इसी वक्त ही राज्य में बिजली की मांग सात हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। यही कारण है कि डिमांड और सप्लाई के बीच 450 मेगावाट का बड़ा अंतर आ गया है। जो भगवंत मान सरकार के लिए चुनौती बन सकती है।
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