सार
पंजाब में अब आप की सरकार है। लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है पंजाब को नशा मुक्त करना। क्योंकि नशे के गिरफ्त में लाखों युवा आ चुके हैं। जिसके चलते कईयों के तो घर-जमीन और जिंदगी तक जा चुकी है। इस बीच एक पिता ने सीएम से नशा छुड़वाने के लिए एक इमोशनल अपील की है।
चंडीगढ़. मैं अपने बेटे को मरते हुए नहीं देख सकता। मेरा बेटा मर रहा है। हर रोज। मैं उसे बचाना चाहता हूं। मैं बताना चाहता हूं, नशा कैसे मेरे परिवार को खा गया। देखो मेरा बेटा किस तरह से तड़प रहा है। नशा करने वाला एक पिता अपने 26 साल के बेटे को नशे की दलदल से निकालने की कोशिश कर रहा है।
परिवार की तीसरी पीढ़ी..नशे की है आदि
दरअसल, यह मामला बरनाल जिले का गांव है डांगड़। यहां का निवासी 26 वर्षीय जोगा सिंह (बदला हुआ नाम) नशा छोड़ने के लिए नशा मुक्ति केंद्र में आया है। वह अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी से है, जो ड्रग्स का आदी रहा है। वह ड्रग्स छोड़ना चाहता है, लेकिन उसकी तबीयत इतनी खराब हो जाती है कि दोबारा उसे वह नशा लेने लग जाता है। जोगा के 55 वर्षीय पिता ने बताया "पहले, मेरे 80 वर्षीय पिता शराब के आदि थे। सारी कमाई शराब पर खर्च करते थे। बाद में, मैंने खुद भी चुरा पोस्त लेना शुरू कर दिया। अब मेरा बेटा ड्रग्स की चपेट में हैं। हम नशे से बचना चाहते हैं। बच नहीं पा रहे हैं। मेरा बेटा नशा छोड़ने की कोशिश करता है। दवा लेता है। लेकिन उसकी हालत इतनी खराब हो जाती है कि लगता है अब वह नहीं बचेगा। फिर वह ड्रग्स ले लेता है। हालांकि मैंने और मेरे बेटे ने नशा मुक्ति केंद्र से दवाएं ली हैं।
नशे में घर-जमीन सब बिक गया
जोगा सिंह की जमीन नशे की वजह से बिक गई है। अब दो कमरों के छोटे से घर में रहते हैं। इसमें रसोई नहीं है। जोगा के पिता मजदूरी का काम करते हैं और परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। जोगा सिंह ने बताया कि “मैंने बीएड किया है। मैं काम करना चाहता हूं। लेकिन काम नहीं मिल रहा था। इसी वजह से टेंशन में था। मैंने 2016 में टेंशन किलर" के नाम से एक टैबलेट मेरे दोस्त ने मुझे दी। इस तरह से इस दवा को मैं लेने लगा। मुझे नहीं पता था, इस दवा में ड्रग्स है। धीरे धीरे मैं नशे जाल में फंस गया। मुझे इस दवा से राहत मिलती बाद में इस टैबलेट के मेरे से पैसे लिए जाने लगे।
ड्रग्स की ऐसी लत कि अपने ही घर मे करने लगा चोरी
मैं खर्च उठा नहीं पा रहा था। मैंने चोरी की। पर फिर मुझे लगा कि मैं गलत कर रहा हूं। मैंने अपने पिता को सारी बात बताई। तब उन्होंने मेरे इलाज के लिए नशा मुक्त केंद्र से संपर्क किया। अब मैं, इलाज करा रहा हूं, ताकि नशा छोड़ दूं। लेकिन नशा मुक्ति केंद्र में पूरी सुविधा नहीं है। वहां कई तरह की परेशानी आती है। वहां हमें मारा भी जाता है। जबकि हमें किसी की सहानुभूति की जरूरत होती है। कोई हमारी बात सुन लें। नशा मुक्त केंद्र में हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है।
मां बीमार..बहन की करनी है शादी, लेकिन नशा सब बर्बाद कर रहा
जोगा ने बताया उसे चिंता है कि यदि उसे कुछ हो गया तो बीमार मां का इलाज कैसे होगा, बहन की शादी कैसे होगी? जोगा सिंह नशा छोड़ना चाह रहा है। उसकी इच्छा शक्ति है,इसलिए उसका इलाज बहुत जल्दी हो जाएगा। बस थोड़ी दिक्कत आती है। वह उसे बर्दाश्त करनी है। क्योंकि नशा छोड़ने के बाद शरीर इसका आदि हो जाता है। नशा न मिले तो चक्कर आना, शरीर अकड़ जाता है, बेहोश होने जैसे लक्षण होते हैं।
बाप-बेटे दोनों इस दलदल में बुरे फंसे
पिता पुत्र की इस स्थिति पर सिविल सर्जन डॉ जसवीर सिंह औलख ने बताया कि यह बहुत ही खराब स्थिति है। मैं , पिता पुत्र के स्वास्थ्य की जांच के लिए एक टीम भेज रहा हूं। यह देखना होगा कि वह क्यों नशा नहीं छोड़ पा रहे हैं। इसे लिए यदि लगा तो उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में दोबारा से भर्ती किया जाएगा।