चंडीगढ़ (Chandigarh) में गुरुवार को ये सरकारी मीटिंग (Officail Meeting) रखी गई थी। इसमें राज्य की कानून व्यवस्था (Law and Order) को लेकर चर्चा की गई। बैठक में पीछे सोफे पर सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjeet singh channi) का बेटा रिदमजीत सिंह (rhythm jit singh) बैठा रहा। इसे लेकर भाजपा ने सीएम को निशाने पर लिया है।
चंडीगढ़। पंजाब के नए-नवेले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjeet singh channi) की मुश्किलें फिलहाल बढ़ती जा रही हैं। दो हफ्ते बाद भी उन्हें विवादों से राहत मिलती नहीं दिख रही है। ताजा मामला है- लॉ एंड ऑर्डर (Law and Order) की सरकारी मीटिंग का। दरअसल, गुरुवार को सीएम आधिकारिक बैठक में अपने बेटे रिदमजीत सिंह (rhythm jit singh) को लेकर पहुंच गए। उसे पीछे सोफे पर बैठा दिया। राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर बुलाई गई बैठक में सारे मंत्री और पुलिस के आला अधिकारी मौजूद थे। अब इस मीटिंग की तस्वीरें सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो रही हैं, जिसमें उनका बेटा भी दिख रहा है। भाजपा (BJP) ने सीएम पर सवाल उठाए हैं।
भाजपा ने इस मसले को अनैतिक बताया है। पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा का कहना था कि ‘चन्नी नियमों से अच्छी तरह वाकिफ हैं, क्योंकि वो तीन बार विधायक रहे हैं। संविधान के नियमों का सम्मान करना चाहिए और विश्वसनीयता, गरिमा हमेशा बनी रहनी चाहिए। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि नियमों और मानदंडों से अच्छी तरह वाकिफ वरिष्ठ नौकरशाहों ने उन्हें इजाजत दी।’बता दें कि मुख्यमंत्री, मंत्री या किसी अफसर के परिवार का कोई भी सदस्य आधिकारिक बैठकों में उपस्थित नहीं हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो ये राज्य सरकार के कामकाज के नियमों का उल्लंघन माना जाता है।
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लोगों ने पूछा- बेटे को किसने बुलाया?
इस बैठक में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के साथ डिप्टी सीएम ओपी सोनी, कैबिनेट मंत्री परगट सिंह और गुरकीरत कोटली, सीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हुस्न लाल समेत डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता भी मौजूद थे। सोशल मीडिया पर तस्वीरें सामने आने के साथ विवाद शुरू हो गया है। लोगों का कहना है कि कैसे बेटे को इस हाई लेवल मीटिंग में बैठने की परमीशन दे दी गई।
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मुख्यमंत्री पद की शपथ के खिलाफ है...
एक रिटायर्ड आईएएस अफसर का कहना था कि ये घटना आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। इस तरह की मीटिंग में किसी भी प्राइवेट व्यक्ति की एंट्री गैरकानूनी है। इतने ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है। नौकरशाहों को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी। ये मुख्यमंत्री द्वारा ली गई शपथ के भी खिलाफ है।’