
अमृतसर ईस्ट. पिछले विधानसभा चुनाव में सिद्धू अमृतसर ईस्ट सीट पर प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट से जीतने वाले कांग्रेस नेताओं में दूसरे नंबर पर थे। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को अपने 18 साल के राजनीतिक करियर में आज पहली हार का सामना उस सीट से करना पड़ा, जिस पर वह अभी तक अजेय थे। इस सीटे से आम आदमी पार्टी की जीवन ज्योत कौर (Jeevan Jyot Kaur) ने सीट पर कब्जा किया है। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को इस सीट से 25112 वोट मिले, जबकि जीवन ज्योत कौर को 39520 वोट देकर जनता ने विधानसभा भेजा। नवजोत सिंह सिद्धू 32807 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
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पंजाब से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
सिद्धू की हार के पीछे कोई और जिम्मेदार नहीं है, बल्कि यह सब सिद्धू के ज्यादा बोलने का नतीजा है। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर हमलावर होते होते कब उनका विवाद सियासत से व्यक्तिगत हो गया, यह सिद्धू को भी नहीं पता। उन्होंने बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को अमृतसर ईस्ट से चुनाव लड़ने के लिए चैलेंज क्या किया, अपने लिए हार की बुनियाद तैयार कर ली थी।
दरअसल 18 साल से सियासत कर रहे सिद्धू को कभी इस सीट से इतनी कड़ी टक्कर मिली ही नहीं थी। मगर इस बार सिद्धू बुरी तरह फंस गए थे। रही-सही कसर आम आदमी पार्टी (AAP) पूरी कर रही है। AAP कैंडिडेट जीवनजोत कौर बेशक बहुत बड़ा नाम न हों मगर लोग झाड़ू को पसंद कर रहे थे। इनके बीच BJP ने अकाली दल से अलग होने के बाद अमृतसर ईस्ट सीट पर उपस्थिति दर्ज कराने के मकसद से रिटायर्ड IAS अफसर जगमोहन राजू पर दांव खेलहै। यह सभी मिलकर सिद्धू के वोट काटे।
सिद्धू से लोग नाराज इसलिए
सेलिब्रेटी वाली छवि से बाहर नहीं निकले। विधानसभा हलके में विकास नहीं हुआ।- सिद्धू दंपती लोगों को आसानी से उपलब्ध नहीं है। वह कुछ लोगों तक सीमित रहे।- रही-सही कसर कांग्रेस की ओर से सीएम फेस न बनाए जाने से पूरी हो गई।- सिद्धू के पास एरिया में प्रचार के लिए न टीम है और न रणनीति बनाने वाले लोग।- इलाके का वोटर भी समझ रहा है कि ये लोग 5 साल बाद सिर्फ वोट मांगने आते हैं।- 2017 में भाजपा के राजेश हनी को महज 17668 वोट मिले। सिद्धू 42809 वोटों से जीते।
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