Punjab Election 2022:कांग्रेस को फिर बड़ा झटका, कैबिनेट मंत्री के बेटे ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया

पंजाब में चुनाव से पहले कांग्रेस में मतभेद बढ़ता ही जा रहा है। कांग्रेस ने जब से उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, तब से नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला बना हुआ है। एक तरफ सीएम चन्नी के भाई डॉ. मनोहर सिंह ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए हैं तो दूसरी तरफ चन्नी सरकार में मंत्री के बेटे ने भी बगावत कर दी।

Asianet News Hindi | Published : Jan 18, 2022 7:44 AM IST

चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) से पहले कांग्रेस में अंदरुनी मतभेद अब बगावत की चिंगारी बनते जा रहे हैं। एक दिन पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई डॉ. मनोहर सिंह ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया तो अब कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह के बेटे इंदर प्रताप सिंह ने भी बगावत कर दी है। उन्होंने ऐलान किया है कि वे सुल्तानपुर लोधी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इंदर यहां से काफी समय से दावेदारी कर रहे थे और जनसंपर्क भी कर रहे थे। लेकिन, कांग्रेस ने यहां से वनतेज चीमा को टिकट दे दिया है। इसी बात से इंदर नाराज हो गए और बगावत कर दी। बता दें कि वनतेज चीमा को प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे का माना जाता है।

पंजाब में चुनाव से पहले कांग्रेस में मतभेद बढ़ता ही जा रहा है। कांग्रेस ने जब से उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, तब से नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला बना हुआ है। एक तरफ सीएम चन्नी के भाई डॉ. मनोहर सिंह ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए हैं तो दूसरी तरफ चन्नी सरकार में मंत्री के बेटे ने भी ऐसा ही मन बना लिया है, जिससे पार्टी हाइकमान की मुसीबत बढ़ गई है। इस सबके बीच, माना जा रहा है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चन्नी के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं है। 

एक परिवार एक टिकट का फॉर्मूला बताया कारण
दरअसल, पंजाब कांग्रेस में सीएम फेस कौन होगा, इसको लेकर दोनों गुट आपस में भिड़े देखे जा रहे हैं। इधर, टिकट बंटवारे में ये लड़ाई साफतौर पर देखी गई। कहा जा रहा है कि टिकट वितरण में सिद्धू पक्ष हावी रहा। जबकि चन्नी के करीबियों को मायूसी हाथ लगी है। पहले चन्नी के चचेरे भाई ने मोहाली में कांग्रेस छोड़ी और भाजपा में शामिल हो गए। उसके बाद सीएम चन्नी अपने भाई डॉक्टर मनोहर सिंह और रिश्तेदार मोहिंदर सिंह केपी को भी टिकट नहीं दिला पाए। इसके पीछे तर्क दिया गया कि 'एक परिवार, एक टिकट' फॉर्मूला की वजह से टिकट नहीं दिया जा सका।

12 से ज्यादा विधायकों टिकट काटे जाने का डर
हालांकि, चन्नी के भाई अब बस्सी पठाना विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह के बेटे की बगावत ने एक बार फिर मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पार्टी में असंतोष यहीं खत्म नहीं हुआ। पहली लिस्ट में चार विधायकों के टिकट काटे गए। करीब 12 विधायकों के पहली लिस्ट में नाम नहीं हैं, ऐसे में उन्हें टिकट काटे जाने का डर बना हुआ है। इधर, टिकट काटे जाने से नाराज मोगा से विधायक हरजोत कमल ने बीजेपी ज्वाइन कर ली है।

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