Punjab Election 2022: तो क्या अलग होंगी संयुक्त समाज मोर्चा और संयुक्त संघर्ष पार्टी की राह, यहां फंसा पेंच

गुरनाम सिंह चढूनी ने साफ कर दिया है कि अगर संयुक्त समाज मोर्चा गुरुवार तक उनके दल को 25 सीटें नहीं देता है तो फिर वो अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेंगे। संयुक्त समाज मोर्चा की ओर से संयुक्त संघर्ष पार्टी को 9 सीटें ऑफर की गई हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 13, 2022 5:14 AM IST / Updated: Jan 13 2022, 11:09 AM IST

चंडीगढ़ : पंजाब चुनाव (Punjab Election 2022) में सियासी दलों की हर्ट बीट बढ़ा रहे किसान आंदोलन से निकले राजनीतिक दलों के गठबंधन में पेंच फंस गया है। संयुक्त समाज मोर्चा (SSM) और संयुक्त संघर्ष पार्टी के बीच तकरार की खबरें सामने आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Charuni) ने संयुक्त समाज मोर्चा के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) पर अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने संयुक्त समाज मोर्चा को अल्टीमेटम भी दिया है।

गुरनाम सिंह चढूनी का अल्टीमेटम
संयुक्त संघर्ष पार्टी को अल्टीमेटम देते हुए गुरनाम सिंह चढूनी ने साफ कर दिया है कि अगर संयुक्त समाज मोर्चा गुरुवार तक उनकी पार्टी को 25 सीटें नहीं देता है तो फिर वो अकेले ही चुनाव में जाएंगे। उन्होंने संयुक्त समाज मोर्चा के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल पर अनदेखी का आरोप लगाया। चढूनी ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जब मैंने मिशन पंजाब शुरू किया तब भी मेरे साथ ऐसा ही किया गया। मुझे संयुक्त किसान मोर्चा से बाहर निकाल दिया गया, लेकिन मैंने अपनी लड़ाई जारी रखी। आगे भी ऐसा हो सकता है। बता दें संयुक्त समाज मोर्चा की ओर से संयुक्त संघर्ष पार्टी को 9 सीटें ऑफर की गई हैं।

आखिर विवाद की वजह क्या है 
गुरनाम सिंह चढूनी हरियाणा के किसान नेता है। तीन कृषि कानूनों में उन्होंने हरियाणा के किसानों का नेतृत्व किया था। किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने पंजाब में चुनाव लड़ने की मांग की थी। मिशन पंजाब नाम से उन्होंने नारा दिया था। इस पर उन्हें संयुक्त किसान मोर्चे से निकाल दिया गया था। इसके बाद भी चढूनी ने पंजाब में चुनाव लड़ने की मांग नहीं छोड़ी। उन्होंने संयुक्त संघर्ष मोर्चा के नाम से पार्टी बना ली। पंजाब में चुनाव की घोषणा होते ही उन्होंने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट भी फाइनल करना शुरू कर दी थी । इधर दूसरी ओर पंजाब के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाला ने संयुक्त समाज मोर्चा के नाम से पार्टी बना कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। मोर्चा में पंजाब के 22 किसान जत्थेबंदिया शामिल है।  गुरनाम सिंह चढूनी चाहता है कि दोनो दल मिल कर चुनाव लड़े। लेकिन सीटों को लेकर मतभेद है। पंजाब के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को ज्यादा तवज्जो नही देना चाहते। इस तथ्य से गुरनाम सिंह भी वाकिफ हैं। इसलिए वह समय समय पर अपनी ताकत दिखाने के लिए पंजाब में जोर आजमाइश करते रहते हैं। 

तो बंट जाएगा वोट बैंक 
जानकारों का कहना है कि यदि राजेवाल और चढूनी में समझौता नहीं होता तो किसान वोट बंट सकता है। इसका लाभ दूसरी पार्टियों  को मिल सकता है। क्योंकि तब ग्रामीण मतदाता दो गुटों में बंट सकता है। जबकि अन्य पार्टियों का पारंपरिक वोटर एक जगह मतदान करेगा। यह भी एक वजह है कि दूसरी सियासी दल चाहते हैं कि किसान नेता एकजुट न होने पाए। इधर गुरनाम सिंह चढूनी अब धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं। यह भी माना जाता है कि गुरनाम सिंह चढूनी का रूझान जहां कांग्रेस (congress) की ओर रहता है, वहीं राजेवाल गुट कांग्रेस से परहेज करता है। इस तरह से दोनो नेता गठबंधन करना चाहते भी है और इससे बचना भी चाह रहे हैं। इसलिए कभी सीट तो कभी उम्मीदवारों के नाम को मुद्​दा बना कर अभी तक गठबंधन नहीं हुआ है। गुरनाम सिंह चढूनी की दिक्कत यह है कि वह जल्दी ही जोश में आ जाते हैं। पंजाब में जिस तरह से वह अभी दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उनका यह दांव किसान राजनीति पर उलटा भी पड़ सकता है। फिर भी देखना होगा कि गुरनाम सिंह चढूनी और राजेवाल गठबंधन कर पाते हैं या फिर अपनी राह अलग-अलग चुनेंगे।

आम आदमी पार्टी से भी नहीं बनी बात
राजेवाला गुट को पहले आम आदमी पार्टी ने गठबंधन का प्रस्ताव दिया था। जो सिरे नहीं चढ़ा। इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि आम आदमी पार्टी मोर्चा को मात्र 10 सीट दे रही थी। इस पर राजेवाल ने गुरनाम सिंह चढूनी की ओर गठबंधन का हाथ बढ़ाया। गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि उन्होंने इस प्रस्ताव के बाद अपने उम्मीदवारों की लिस्ट फिलहाल रोक रखी है। लेकिन वह ज्यादा देर तक इंतजार नहीं करेंगे। गुरनाम सिंह ने बताया कि हालांकि वह चाहते हैं कि मोर्चा के साथ मिल कर चुनाव लड़ा जाए। लेकिन राजेवाल की ओर से जिस तरह से उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है। इससे उनका सब्र टूट रहा है। 

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