सीएम चन्नी किसी तरह से सीएम के उम्मीदवार बनना चाहते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू की कोशिश है कि उनके नाम पर चुनाव लड़ा जाए। बाकी के नेताओं का भी यही हाल है।
मनोज ठाकुर, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (CM Charanjit singh channi) और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बीच अंदरुनी विवाद जगजाहिर हो गया है, ऐसे में प्रदेश कांग्रेस (Congress) लगातार पंजाब के वोटर से अपनी पकड़ खो रही है। रही सही कसर अब पार्टी में बगावत से पूरी होने के आसार बने हुए हैं। स्थिति यह है कि कई मौजूदा विधायक और सीनियर नेता पार्टी छोड़ कर दूसरे दलों के साथ तालमेल बिठा रहे हैं। उनकी कोशिश है कि टिकट कटने की स्थिति में वह बागी होकर किसी दूसरी पार्टी में अपनी किस्मत आजमाए।
कांग्रेस के लिए चिंता की बात तो ये है कि बागी होने के कगार पर बैठे नेताओं को मनाने की दिशा में भी कुछ नहीं हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि पार्टी का हर नेता अपने तरीके से काम कर रहा है। पंजाब की राजनीति पर लंबे समय से नजर रखने वाले पत्रकार बलविंदर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस का हर नेता अपने को स्थापित करने की फिकर में हैं। सीएम चन्नी किसी तरह से सीएम के उम्मीदवार बनना चाहते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू की कोशिश है कि उनके नाम पर चुनाव लड़ा जाए। बाकी के नेताओं का भी यही हाल है। इस स्थिति में कांग्रेस के सीनियर नेता देखो और इंतजार करो की स्थिति में हैं।
बलविंदर सिंह कहते हैं कि इस स्थिति में बागी होने वाले नेताओं को मनाए कौन? इनकी चिंता किसे है? क्योंकि हर कोई अपने लिए लड़ रहा है। पार्टी के लिए नहीं। जब पार्टी एजेंडे में है ही नहीं तो फिर हालात सुधरे भी तो कैसे?
यह नेता हो सकते हैं बागी
सुखपाल भुल्लर, खेमकरण। क्योंकि कहा जा रहा है कि टिकट कट रहा है। यदि इन्हें टिकट नहीं मिलता तो यह पार्टी छोड़ सकते हैं।
बलविंदर सिंह लाड़ी, श्री हरगोबिंदपुर। इन्होंने फतेहचंद बाजवा के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। लेकिन पांच दिन के भीतर बलविंदर लाड़ी का भाजपा से मोह भंग हो गया। वह एक बार फिर बागी हो गए हैं, अब भी यदि उन्हें टिकट नहीं मिलता तो बागी होने से परहेज नहीं करेंगे।
अजायब सिंह भट्टी, मलोट। पंजाब विधानसभा के उपसभापति भी हैं। कांग्रेस से टिकट कटने की स्थिति में पार्टी को टाटा- टाटा, बाय -बाय बोल सकते हैं।
इन नेताओं के टिकट पर लटक रही तलवार
माना जा रहा है कि यदि इन नेताओं में किसी का भी टिकट काटा जाता है तो ये कांग्रेस को छोड़ सकते हैं और अन्य दलों में शामिल हो सकते हैं। यही वजह है कि भाजपा और उसके गठबंधन के सहयोगी दलों ने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं।
टूट से तो आम आदमी पार्टी भी नहीं बची है
पंजाब में आम आदमी पार्टी के 11 मौजूदा विधायक टूट कर इधर उधर जा चुके हैं । इसके अलावा आप के जिला स्तर राज्य स्तर की कार्यकारिणी के सदस्य पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं। आप में बगावत की आवाज उठ रही है। जिसे जबरदस्ती दबाया जा रहा है। देखना यह होगा कि क्या पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल विरोधियों को मना पाते हैं या फिर आप भी कांग्रेस की राह पर चलेगी।
बागियों पर टिकी कैप्टन और भाजपा की नजर
इधर, बागियों पर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन की नजर टिकी हुई है। वह हर बागी का स्वागत करने के लिए तैयार खड़े हैं। उनकी पूरी कोशिश है कि कांग्रेस से ज्यादा से ज्यादा बागी हो, जिससे पार्टी कमजोर हो सके। भाजपा की नजर भी कुछ जगह ऐसे नेताओं पर टिकी हुई है, जो भले ही जीत न पाए, लेकिन ठीक ठाक वोट हासिल करने की स्थिति में हो।
लाचार है कांग्रेस की सीनियर लीडरशिप
जानकारों का कहना है कि पार्टी के भीतर बगावत को दबाने में कांग्रेस की सीनियर लीडरशिप खुद को लाचार मान रही है। राज्य के नेताओं की इतनी कुव्वत नहीं कि वह अपने दम पर इस विरोध को दबा सके। इस तथ्य को कांग्रेस स्वीकार कर रही है। तभी तो उम्मीदवारों की लिस्ट पर दोबारा से विचार किया जा रहा है। इसमें यह आंकलन भी किया जा रहा है कि जो नेता टिकट कटने पर विरोध करते हैं,इससे कांग्रेस का कितना नुकसान हो सकता है? इस नुकसान की भरपाई कैसे हो सकती है? यदि वह बागी होकर दूसरी पार्टी में जाते हैं तो समीकरण क्या बनेंगे।
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