Punjab Polls 2022: राणा गुरमीत सोढ़ी को फिरोजपुर से टिकट देने की inside story, BJP ने इसलिए बदली पारंपरिक सीट

भाजपा राणा की जीत सुनिश्चित करना चाहती है। पार्टी राणा की जीत का सिलसिला भी बने रहने देना चाहती है। इसलिए उन्हें लेकर कोई रिस्क नहीं उठाया गया। इसी सोच के चलते उनकी पारंपरिक सीट से टिकट देने की बजाय उन्हें फिरोजपुर सिटी में लाया गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2022 1:50 PM IST

मनोज ठाकुर, चंडीगढ़। कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में आए विधायक राणा गुरमीत सोढ़ी को फिरोजपुर से टिकट दिया गया है। इनका टिकट लगभग फाइनल था। इस सीट पर राणा भाजपा के लिए काफी गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। राणा सोढ़ी फिरोजपुर की गुरुहरसहाय सीट से 2002 से लगातार विधायक हैं। वह कांग्रेस सरकार में स्पोर्ट्स एंड यूथ अफेयर्स मंत्री भी थे। राणा अपने इलाके में खासा प्रभाव रखते हैं।

भाजपा राणा की जीत सुनिश्चित करना चाहती है। पार्टी राणा की जीत का सिलसिला भी बने रहने देना चाहती है। इसलिए उन्हें लेकर कोई रिस्क नहीं उठाया गया। इसी सोच के चलते उनकी पारंपरिक सीट से टिकट देने की बजाय उन्हें फिरोजपुर सिटी में लाया गया है। इसके पीछे भाजपा की सीधी हुई रणनीति है। दरअसल, भाजपा की यहां अच्छी खासी पकड़ है।  भाजपा के कमल शर्मा यहां काफी पसंदीदा नेता थे, लेकिन 2016 में उनका देहांत हो गया था। तब से यहां भाजपा के लिए कोई मजबूत नेता नहीं मिल रहा था। राणा को यहां लाकर भाजपा ने यह कमी भी पूरी की है। 

फिरोजपुर में राणा को इसलिए मिल सकता जबरदस्त लाभ
फिरोजपुर सिटी पर अभी कांग्रेस के परमिंदर सिंह पिंकी विधायक है। पिंकी भी यहां अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। लेकिन भाजपा ने यहां से मजबूत उम्मीदवार उतार कर इस सीट पर मुकाबले को रोचक बना दिया है। राणा की उम्मीदवारी का यह भी एक कारण है- इस सीट पर राधा स्वामी डेरे का भी प्रभाव है। राणा सोढ़ी डेरा के प्रमुख के रिश्तेदार हैं। इसका भी उन्हें जबरदस्त लाभ यहां से मिल सकता है। अकाली दल की इस सीट पर यहां ज्यादा पकड़ नहीं है। यहां से उनके उम्मीदवार मोंटू वोहरा है, जो कि मतदाताओं में ज्यादा पकड़ नहीं रखते। 

कांग्रेस प्रत्याशी भी ज्यादा प्रभावी नहीं...
हालांकि कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि राणा की मजबूत घेराबंदी की जाए। पिंकी लगातार यहां मतदाता से संपर्क साधे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि पिंकी यदि राणा को जोरदार टक्कर दें तो उनका पार्टी में कद बढ़ सकता है। लेकिन चार बार के विधायक राणा सोढ़ी भी यहां की सियासत के रग रग से वाकिफ हैं। उन्हें भी पता है कि किस तरह से मतदाता को साथ जोड़ा जा सकता है। 

गुरसहाय सीट से पार्टी को डर था
जानकारों का यह भी कहना है कि गुरसहाय सीट पर जटसिख वोटर बहुत ज्यादा हैं। माना यह भी जा रहा था कि यदि राणा को इस सीट से उतार जाए तो हो सकता है यहां उनका विरोध हो जाए। क्योंकि यह एक ग्रामीण सीट है। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ इतनी मजबूत भी नहीं है। 

राणा ने कांग्रेस से गहरी चोट खाई है
राणा कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नजदीक थे। लेकिन जैसे ही कैप्टन को कांग्रेस ने सीएम पद से हटाया तो मंत्री पद भी छीन लिया था। राणा तभी बीजेपी में आ गए थे। राणा कांग्रेस से काफी नाराज हैं और भाजपा में आकर इसका बदला लेना चाहते हैं। इसलिए राणा की जीत न सिर्फ उनके लिए, बल्कि बीजेपी के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। इसलिए भी उन्हें फिरोजपुर लाया गया है। जिससे बीजेपी उन्हें आसान सीट उपलब्ध करा कर जीत के उनके सिलसिले को बरकरार रख सके। यह भी एक कारण है कि उन्हें फिरोजपुर जैसी अपेक्षाकृत सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया गया।

बता दें कि 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल किया था और 10 साल बाद शिअद-भाजपा सरकार को बाहर कर दिया।

पंजाब चुनाव में ऐसा है पूरा कार्यक्रम
कुल विधानसभा सीटें- 117
नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख- 25 जनवरी
नामांकन की आखिरी तारीख- 1 फरवरी
नामांकन पत्रों की जांच- 2 फरवरी
नाम वापसी की अंतिम तारीख- 4 फरवरी
मतदान- 20 फरवरी
रिजल्ट- 10 मार्च

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