पंजाब: कृषि कानूनों के खिलाफ शिरोमणी अकाली दल ने राजभवन तक निकाला किसान मार्च, राज्यपाल को दिया ज्ञापन

Published : Oct 01, 2020, 11:37 AM ISTUpdated : Oct 01, 2020, 07:47 PM IST
पंजाब: कृषि कानूनों के खिलाफ शिरोमणी अकाली दल ने राजभवन तक निकाला किसान मार्च, राज्यपाल को दिया ज्ञापन

सार

कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में कई किसान संगठन और विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच गुरूवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सहयोगी रही शिरोमणी अकाली दल (शिअद) ने गुरूवार को अमृतसर के आनंदपुर साहिब से होते हुए चंडीगढ़ के राज्यपाल हाउस तक विशाल किसान मार्च निकाला। यह मार्च सुबह 10 बजे श्री केसगढ़ साहिब से अरदास करने के बाद शुरू किया गया था। अकाली दल के अध्यक्ष ने सुखबीर सिंह बादल ने बताया कि किसान मार्च के राजभवन पहुंचने के बाद राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम कृषि बिलों को वापस लेने संबंधी एक ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में हमने राज्यपाल से अनुरोध किया कि कृषि बिलों को लेकर केंद्र एक बार फिर से संसद सत्र बुलाए और इन कानूनों को वापस लें। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल पार्टी किसान हितैषी पार्टी है और वह शुरू से ही किसानों के हकों की लड़ाई लड़ती रही है।  


अमृतसर. कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में कई किसान संगठन और विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच गुरूवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सहयोगी रही शिरोमणी अकाली दल (शिअद) ने गुरूवार को अमृतसर के आनंदपुर साहिब से होते हुए चंडीगढ़ के राज्यपाल हाउस तक विशाल किसान मार्च निकाला। यह मार्च सुबह 10 बजे श्री केसगढ़ साहिब से अरदास करने के बाद शुरू किया गया था। अकाली दल के अध्यक्ष ने सुखबीर सिंह बादल ने बताया कि किसान मार्च के राजभवन पहुंचने के बाद राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम कृषि बिलों को वापस लेने संबंधी एक ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में हमने राज्यपाल से अनुरोध किया कि कृषि बिलों को लेकर केंद्र एक बार फिर से संसद सत्र बुलाए और इन कानूनों को वापस लें। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल पार्टी किसान हितैषी पार्टी है और वह शुरू से ही किसानों के हकों की लड़ाई लड़ती रही है।

दरअसल केंद्र सरकार ने हाल ही में कृषि से जुड़े तीन बिलों को संसद से पारित करवाया था। जिसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर से अब ये कानून का रूप ले चुके हैं। विपक्षी दलों समेत कई किसान संगठन इसके लोकसभा से पारित होने के बाद से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी को लेकर NDA के सबसे पुराने सहयोगी शिअद ने भी इस गठबंधन से अलग होने का फैसला किया था। इससे पहले शिअद की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल अपने पद से इस्तीफा दे चुकी हैं।

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