"द लास्ट बेंचर्स’ की प्रेजिडेंट सुमिता कोहली ने बताया कि हर वर्ष विश्व भर में 8 मार्च को "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" ("इंटरनेशनल वीमन्स डे") मनाया जाता है। महिलाओं को राशन किट में आटा, चावल, चीनी, रिफाइंड तेल, चने की दाल, चायपती, नमक, मिक्स दाल, स्टील गिलास सेट आदि जैसे जरूरी सामान उपलब्ध कराया गया।
चंडीगढ़। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर शनिवार को सेक्टर 19 के कम्युनिटी सेंटर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता "द लास्ट बेंचर्स’ की प्रेजिडेंट सुमिता कोहली और ओंकार चैरिटेबल फाउंडेशन के चेयरमैन रविंदर सिंह विल्ला ने की। चंडीगढ़ नगर निगम की मेयर सरबजीत कौर मुख्य अतिथि और डिप्टी मेयर अनूप गुप्ता बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इस दौरान कोरोना महामारी और किसी अन्य कारण से अपना सुहाग खोने वाली 15 महिलाओं को सम्मानित किया गया। ये कार्यक्रम समाज सेवी संस्था "द लास्ट बेंचर्स’, भारत विकास परिषद ईस्ट 1-2 और ओंकार चैरिटेबल फाउंडेशन ने आयोजित किया।
इस अवसर संस्था की सदस्य नीलम गुप्ता, डेजी महाजन, वंदना ठाकुर, शिवांगी, विमला गुप्ता, अनु सिंगला और संध्या धाम भी मौजूद थी। 15 महिलाओं को राशन किट समेत अन्य सामान देकर प्रोत्साहित किया गया। महिलाओं को राशन किट में आटा, चावल, चीनी, रिफाइंड तेल, चने की दाल, चायपती, नमक, मिक्स दाल, स्टील गिलास सेट आदि जैसे जरूरी सामान उपलब्ध कराया गया। "द लास्ट बेंचर्स’ की प्रेजिडेंट सुमिता कोहली ने बताया कि हर वर्ष विश्व भर में 8 मार्च को "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" ("इंटरनेशनल वीमन्स डे") मनाया जाता है।
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समानता बनाने के लिए जागरूक करना उद्देश्य
यह दिन महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन का प्रतीक है और इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य भी महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों में समानता बनाने के लिए जागरूकता लाना है। साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। आज महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले भी सामने आते रहते हैं।
महिलाओं का सम्मान कम होना चिंताजनक
सुमिता कोहली ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। रविंदर सिंह विल्ला ने कहा कि बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा और अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है।
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