सार

947 में देश विभाजन के दौरान बिछड़े रिश्तेदारों को मिलाने का काम करतारपुर साहिब गुरुद्वारा कर रहा है। जनवरी महीने में करतारपुर साहिब ने जहां दो सगे भाइयों को मिलाया था, वहीं अब मौसी और भांजी अरसे बाद एक-दूसरे से मिले हैं।

करतारपुर (पंजाब). 1947 में देश विभाजन के दौरान बिछड़े रिश्तेदारों को मिलाने का काम करतारपुर साहिब गुरुद्वारा कर रहा है। जनवरी महीने में करतारपुर साहिब ने जहां दो सगे भाइयों को मिलाया था, वहीं अब मौसी और भांजी अरसे बाद एक-दूसरे से मिले हैं। खास-बात है कि इस मुलाकात की कोशिश कोविड काल के बीच में शुरू हुई थी।

1971 की जंग के बाद अब मिली दोनों
मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान के नरोवाल जिले के जफरवाल शहर की रहने वाली बावी देवी भारत के गुरदासपुर में रहने वाली अपनी मौसी बावी देवी से मिली। बावी देवी 1971 में भारत चली आई थी, तभी से अपने परिवार के साथ रह रही थी। 1971 की जंग के बाद दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ीं, लेकिन अब जाकर दोनों परिवार करतारपुर साहिब में मिल पाए हैं। दोनों परिवारों ने पूरा दिन एक दूसरे के साथ बिताया और आगे लगातार मिलते रहने का वादा भी किया।

कोरोना लॉकडाउन में हुई कोशिश
पाकिस्तानी बावी देवी के बेटे सोहल ने बताया कि यह मुलाकात कोरोना काल के कारण ही संभव हो पाई। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण सभी घरों में कैद थे। उनकी मां मौसी बावी देवी के बारे में बातें किया करती थीं। उन्होंने इंटरनेट के जरिए उन्हें ढूंढना शुरू किया और उन्हें सफलता मिल भी गई।

पाकिस्तान की कॉल रिश्तेदार उठाते नहीं थे
सोहल ने बताया कि शुरुआत में उन्हें मौसी तक पहुंचने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उनका संपर्क पहले मां की चाची के परिवार से हुआ था। उन्हें जब सारी बात बताई तो उन्होंने यकीन नहीं किया। कई बार तो चाची का परिवार फोन ही नहीं उठाता था। अंत में उन्हें विश्वास दिलाया गया और वह मौसी बावी देवी तक पहुंच सके।